ब्रह्माद्वारा कहा गया भगवान् सूर्यका नाम स्तोत्र
|| ब्रह्माजी बोले ||
याज्ञवल्क्य, भगवान् सूर्य जिन नामोंके स्तवनसे प्रसन्न होते हैं,
मैं उनका वर्णन कर रहा हूँ |
|| ब्रह्मोवाच ||
नमः सूर्याय नित्याय रवयेऽर्काय भानवे |
भास्कराय मतङ्गाय मार्तण्डाय विवस्वते ||
नित्य, रवि, अर्क, भानु, भास्कर, मतङ्ग, मार्तण्ड तथा
विवस्वान् नमोंसे युक्त भगवान् सूर्यको मेरा नमस्कार है |
आदित्यायादिदेवाय नमस्ते रश्मिमालिने |
दिवाकराय दीप्ताय अग्नये मिहिराय च ||
आदिदेव, रश्मिमालि, दिवाकर, दीप्त, अग्नि तथा
मिहिर नामक भगवान् आदित्यको मेरा नमस्कार है |
नमो धात्रे विधात्रे च अर्यम्णे वरुणाय च |
पूष्णे भगाय मित्राय पर्जन्यायांशवे नमः ||
धाता, विधाता, अर्यमा, वरुण, पूषा, भग, मित्र, पर्जन्य, अंशुमान् नामवाले
भगवान् सूर्यको मेरा प्रणाम है |
प्रभाकराय मित्राय नमस्तेऽदितिसम्भव |
नमो गोपतये नित्यं दिशां च पतये नमः ||
हे अदितिके पुत्र भगवान् सूर्य,
आप प्रभाकर,मित्र, गोपति तथा दिक्पति नामवाले हैं,
आपको मेरा नित्य नमस्कार है ||
नमो हितकृते नित्यं धर्माय तपनाय च |
हरये हरिताश्वाय विश्वस्य पतये नमः ||
हितकृत्, धर्म, तपन, हरि, हरिताश्व, विश्वपति
भगवान् सूर्यको नित्य मेरा नमस्कार है |
विष्णवे ब्रह्मणे नित्यं त्र्यम्बकाय तथात्मने |
नमस्ते सप्तलोकेश नमस्ते सप्तसप्तये ||
विष्णु, ब्रह्मा, त्र्यम्बक, आत्मस्वरुपा, सप्तसप्ति, हे सप्तलोकेश,
आपको मेरा नमस्कार है |
एकस्मै हि नमस्तुभ्यमेकचक्ररथाय च |
ज्योतिषां पतये नित्यं सर्वप्राणभृते नमः ||
अद्वितीय, एकचक्ररथ, ज्योतिष्पति,
हे सर्वप्राणभृत्, आपको मेरा नित्य नमस्कार है |
हिताय सर्वभूतानां शिवायार्तिहराय च |
नमः पद्मप्रबोधाय नमो वेदादिमूर्तये ||
समस्त प्राणिजगत् का हित करनेवाले, शिव पर आर्तिहर,
पद्मप्रबोध, वेदादिमूर्ति भगवान् सूर्यको नमस्कार है ||
काधिजाय नमस्तुभ्यं नमस्तारासुताय च |
भीमजाय नमस्तुभ्यं पावकाय च वै नमः ||
प्रजापतियोंके स्वामी महर्षि कश्यपके पुत्र,
आपको नमस्कार है | भीमपुत्र तथा पावक नामवाले तारासुत,
आपको नमस्कार है, नमस्कार है |
धिषणाय नमो नित्यं नमः कृष्णाय नित्यदा |
नमोऽस्त्वदितिपुत्राय नमो लक्ष्याय नित्यशः ||
धिषण, कृष्ण, अदितिपुत्र तथा लक्ष्य नामवाले
भगवान् सूर्यको बार बार नमस्कार है |
ब्रह्माजीने कहा,
याज्ञवल्क्य, जो मनुष्य सायंकाल और प्रातःकाल इन नामोंका पवित्र होकर पाठ करता है, वह मेरे समान ही मनोवाञ्छित फलकों प्राप्त करता है |
इस नाम स्तोत्रसे सूर्यकी आराधना करनेपर उनके अनुग्रहसे धर्म, अर्थ, काम, आरोग्य, राज्य तथा विजयकी प्राप्ति होती है |
यदि मनुष्य बन्धनमें हो तो इसके पाठसे बन्धनमुक्त हो जाता है |
इसके जप करनेसे सभी पापोंसे छुटकारा मिल जाता है |
यह जो सूर्यस्तोत्र मैंने कहा है, वह अत्यन्त रहस्यमय है |
|| अस्तु ||
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