महा वाराहि मन्त्र |

 


112 अक्षरवाला 
महावाराही मंत्र 


 

महा वाराहि मन्त्र

ऐं ग्लौं ऐं नमो भगवति वार्त्तालि  वार्त्तालि 

वाराहि वाराहि, वराहमुखी वराहमुखी,

अन्धे अन्धिनि नमः

रुन्धे रुन्धिनि नमः

जम्भे जम्भिनि नमः

मोहे मोहिननि नमः

स्तम्भे स्तभिनि नमः

सर्वदुष्ट प्रदुष्टानां सर्वेषां 

सर्व वाक्छित्त चक्षुर मुखगति जिह्वा

स्तम्भनं कुरु कुरु शीघ्रं वश्यं

ऐं ग्लौं ठःठःठःठः हुं अस्त्राय फट् ||

karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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