विष्णु स्तुति | Vishanu Stuti |

 

विष्णु स्तुति

विष्णु स्तुति


विष्णुं जिष्णुं हृषीकेशं केशवं मधुसूदनम् |
नारायणं नरं शौरिं वासुदेवं जनार्दनम् ||

वाराहं यज्ञपुरुषं पुण्डरीकाक्षमच्युतम् |
वामनं श्रीधरं कृष्णं नृसिंहमपराजितम् ||

पद्मनाभमजं श्रीशं दामोदरमधोक्षजम् |
सर्वेश्वरेश्वरं शुद्धमनन्तं विश्वरुपिणम् ||

चक्रिणं गदिनं शान्तं शङ्खिनं गरुडध्वजम् |
किरीटकौस्तुभधरं प्रणमाम्यहमव्ययम् ||

अहमस्मि जगन्ननथ मयि वासं कुरु द्रुतम् |
आवयोरन्तरं मास्तु समीराकाशयोरिव ||

अयं विष्णुरयं कृष्णः पुरो मम |
नीलोत्पलदलश्यामः पद्मपत्रायतेक्षणः ||

एष पश्यतु मामीशः पश्याम्यहमधोक्षजम् |
इत्थं जपेदेकमनाः स्मरन् सर्वेश्वरं हरिम् ||

भगवान् विष्णु, जिष्णु, हृषीकेश, केशव, मधुसूदन, नारायण, नर,
शौरि, वासुदेव, जनार्दन, वाराह, यज्ञपुरुष, पुण्डरीकाक्ष, अच्युत,
वामन, श्रीधर, कृष्ण, नृसिंह, अपराजित, पद्मनाभ, अज, श्रीश, 
दामोदर, अधोक्षज, सर्वेश्वरेश्वर, शुद्ध, अनन्त, विश्वरुपी,
चक्री, गदी, शान्त, शङ्खी, गरुडध्वज,
किरीटकौस्तुभधर तथा अव्यय परमात्माको मैं प्रणाम करता हूँ |
जगन्नाथ, मैं आपका ही हूँ,
आप शीघ्र मुझमें निवास करें |
वायु एवं आकाशकी तरह मुझमें और आपमें कोई अन्तर न रहे |
मैं नीले कमलके समान श्यामवर्ण, कमलनयन भगवान् विष्णु अथवा शौरि या
भगवान् श्रीकृष्ण आपको अपने सामने देख रहा हूँ, आप भी मुझे देखें |
 
इन मन्त्रोंको पढ़कर भगवान् विष्णुको प्रणाम करे और उनका दर्शन करे तथा

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

इस मन्त्रका निरन्तर जप करता रहे |
जो व्यक्त्ति प्रसन्नमुख, शङ्ख, चक्र, गदा तथा पद्म धारण किये हुए, केयूर, कटक, कुण्डल, श्रीवत्स, पीताम्बर आदिसे विभूषित, नवीन मेघके समान
श्यामस्वरुप भगवान् विष्णुका ध्यान कर प्राणोंका परित्याग करता है,
वह सभी पापोंसे मुक्त्त हो भगवान् अच्युतमें लीन हो जाता है |

|| अस्तु ||
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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