राहु पूजन
राहु को छाया ग्रह माना जाता है
सौरमंडल में राहु का स्थान वायव्य दिशा में है |
यह तार्किक वृत्ति का कारक है |
जन्मकुंडली में उच्च स्थान का राहु जातक को कुशल राजनीतिज्ञ बनाता है |
जबकि अशुभ स्थान का राहु चिंताग्रस्त रखता है |
पीड़ित राहु अनिंद्र ओर चिड़चिड़ापन प्रदान करता है |
राहु के बकरी होने पर कुप्रभाव से मुक्ति की संभावना रहती है |
राजपक्ष की विपत्तियों से बचने के लिए राहु की आराधना उपयोगी है |
राहु पूजन शनिवार की रात्रि में श्रेयस्कर होता है |
|| आह्वान मंत्र ||
काले अक्षत और काले पुष्प हाथ में लेकर नीचे लिखे मंत्र द्वारा
राहु का आह्वान करें,
अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम् |
सिंहिकागर्भ संभूतं राहुं आवाहयाम्यहम् ||
|| स्थापना मंत्र ||
तत्पश्चात नीचे दिए गए मंत्र द्वारा राहु की स्थापना करें,
ॐ भूर्भुवः स्वः राहु देवता इहागच्छ इहतिष्ठ |
ॐ राहवे नमः |
मंत्र पाठ के बाद काले अक्षत और काले पुष्प को नवग्रह मंडल में राहु के स्थान पर छोड़ दें |
|| ध्यान मंत्र ||
अब निम्नलिखित मंत्र द्वारा राहु का ध्यान करें,
ओके कयानश्चित आ भुवदूती सदावृ सदावृ,,,,,, धह |
सखा कया सचिष्ठया वृता ||
ॐ महाशिरा महावक्त्रो दीर्घ दृष्टो महाबलः |
अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीडां हरतु ते नमः ||
|| राहु मंत्र ||
राहु के बीज मंत्र और तांत्रिक मंत्र निम्नलिखित हैं,
जिनकी जप संख्या 18,000 है |
ॐ रां राहवे नमः |
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः |
|| राहु यंत्र ||
राहु के मंत्र में किसी भी ओर से जोड़ने पर इसका योगफल 36 ही आता है |
इसे किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार की रात्रि के प्रथम प्रहर में भोजपत्र पर अनार की कलम और अष्टगंध की स्याही द्वारा लिखें |
फिर धूप, दीप और काले पुष्प चढ़ाकर
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स राहवे नमः |
मंत्र का जप करके लोहे की तावीज अथवा काले या नीले वस्त्र में
श्रद्धा एवं विश्वासपूर्वक धारण करें |
|| राहु दान ||
राहु की दान सामग्री है,
काले तिल, वस्त्र, उड़द, तेल, सीस, सरसो, चाकू एवं काला कंबल |
यह दान शनिवार के दिन दक्षिणा सहित किसी अपाहिज को दें |
|| अस्तु ||
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Jyotish