मंगल पूजन
मंगल का स्थान सौरमंडल में सूर्य के दक्षिण में है |
यह साहस का दाता है | शुभ स्थान का मंगल धन
संपदा देता है|यह हनुमान आराधना से अनुकूल होता है |
वैवाहिक जीवन एवं संतान सुख के लिए मंगल साधना लाभकारी है |
इनकी आराधना मंगलवार को करनी चाहिए |
उपवास में बीना नमक का भोजन एक ही बार करें |
सूर्यास्त के बाद भोजन न करें |
बुधवार को सूर्यार्घ्य देकर व्रत संपूर्ण करें |
|| आह्वान मंत्र ||
लाल फूल और लाल चावल हाथ में लेकर निम्नलिखित मंत्र द्वारा मंगलदेव का आह्वान करें,
धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांति समप्रभम् |
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ||
|| स्थापना मंत्र ||
तत्पश्चात निम्नवत मंत्र द्वारा मंगल की स्थापना करें,
ॐ अग्निमुर्धा दिवःककुत्पतिः अयम् |
आपा रेता असि जिन्वति ॐ भौमाय नमः||
लाल पुष्प और लाल रंग को नवग्रह मंडल में मंगल के स्थान पर छोड़ दे |
|| ध्यान मंत्र ||
अब निम्नलिखित मंत्र से मंगलदेव का ध्यान करें,
अंगारक महाभाग भगवन् भक्तवत्सल |
त्वां नमामि है ममाड,,,,, शेषमृणमाशु विनाशय ||
|| मंगल मंत्र||
मंगलदेव के बीज मंत्र एवं तांत्रिक मंत्र निम्नलिखित हैं,
जिसकी जप संख्या 10,000 है,
ॐ अं अंगारकाय नमः |
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः |
|| मंगल मंत्र ||
मंगल के यंत्र में जिधर से भी जोड़ें, इसका योगफल 21 ही आता है |
इसे किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार के दिन शुभ या अमृत के चौघड़िंये में भोजपत्र पर तांबे की कलम और अष्टगंध की स्याही द्वारा लिखें |
फिर धूप, दीप, एवं सुगंधित लाल पुष्प चढ़ाकर,
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः मंत्र का उच्चारण करके उसे तांबे की तावीज या लाल वस्त्र में धारण करें |
|| मंगल दान ||
मंगल की दान सामग्री है, मसूर की दाल, गेहूं, मूंगा, भूमि, रक्त चंदन,
लाल वस्त्र, लाल पुष्प, तांबा, सोना, केसर,
एवं कस्तूरी| यह दान मंगलवार को दक्षिणा सहित दें |
|| अस्तु ||
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Jyotish