चंद्र पूजन
भारतीय ज्योतिष के मतानुसार चंद्रमा मन का कारक है |
चंद्र उतावलेपन और लाभ की आकांक्षा बढ़ाता है |
यह पाचन क्रिया और रजोदर्शन को प्रभावित करता है |
सौरमंडल में चंद्रदेव का स्थान आग्नेय कोण में है |
चंद्र की अनुकूलता पाने के लिए भगवान शिव की पूजा का भी विधान है |
चंद्रमा की पूजा आराधना सोमवार के दिन सायंकाल की जाती है |
चंद्र स्तुति और पूजन अनुकूल प्रभाव देता है |
|| आह्वान मंत्र ||
हाथ में सफेद पुष्प एवं चावल लेकर निम्नलिखित मंत्र द्वारा चंद्रदेव का आह्वान करें,
क्षीरदार्णव सम्भूत अत्रिगोत्र समुद्भवां |
ग्रहाणार्घ्य शशादेडं रोहिणी सहितं मम् ||
|| स्थापना मंत्र ||
तत्पश्चात निम्नवत मंत्र द्वारा चंद्रदेव की स्थापना करें,
ॐ भूर्भुवः स्वः चंद्रमा देवता इहागच्छ इहतिष्ठ |
ॐ सोमाय नमः ||
सफेद पुष्प और सफेद चावल को नवग्रह मंडल में चंद्रमा के स्थान पर छोड़ दें |
|| ध्यान मंत्र ||
अब निम्नवत मंत्र द्वारा चंद्रदेव का ध्यान करें,
श्वेताम्बरः श्वेतविभूषणश्च श्वेतद्युतिर्दण्डधरो द्विबाहुः |
चन्द्रोऽमृतत्वारदः किरीटी मयि प्रसादं विदधातु तेजः ||
|| चंद्र मंत्र ||
चंद्रदेव के बीज मंत्र एवं तांत्रिक मंत्र अग्रलिखित हैं,
जिनका जप संख्या ११,००० है,
ॐ सों सोमाय नमः |
ॐ श्रां श्रौं सः चंद्रमसे नमः |
|| चंद्र यंत्र ||
चंद्र के यंत्र में सभी ओर से जोड़ने पर इसका योगफक १८ ही आता है |
इसे किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को चंद्र दर्शन के बाद भोजपत्र पर अनार या चांदी की कलम एवं अष्टगंध की स्याही द्वारा लिखे |
फिर धूप, दीप एवं श्वेत सुगंधित पुष्प चढ़ाकर
ॐ श्रीं श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः
मंत्र का उच्चारण करके चांदी की तावीज में धारण करें |
|| चंद्र दान ||
चंद्र की दान सामग्री है,
दूध,दही,चावल, देशी कपूर, मोती, श्वेत वस्त्र,
चांदी, बृषभ,शंख और घी का घड़ा |
इस दान को सोमवार के दिन दक्षिणा के साथ देना चाहिए |
|| अस्तु ||
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Jyotish