रवियोग का महात्म्य
सूर्यभाद्वेदगोतर्क दिग्विश्व नखसम्मिते |
चन्द्रर्क्षे रवियोगाः स्युर्दोषसङ्घविनाशकाः |
अर्थातः सूर्य के नक्षत्र से चन्द्रमा के नक्षत्र तक गिनती करने पर यदि
यह ४, ६, ९, १०, १३, २० यह क्रम में कोई भी एक क्रम का नक्षत्र जिस दिन हो
उस दिन रवि योग होता है |नक्षत्र का यह समय रवि योग का समय होता है |
सूर्य ग्रह सभी ग्रहों का राजा है |
सौरमंडल में सबसे ऊर्जावान ग्रह सूर्य है जिस्से हमें प्रकाश एवं प्रत्यक्ष या परोक्ष रूपसे ऊर्जा जीवन ऊर्जा प्राप्त होती है |
सूर्य को हिंदू धर्म में सूर्य को बहुत पवित्र देव माना जाता है
एवं सूर्य की पूजा उपासना की जाती है |
नौ ग्रहों में सूर्य को श्रेष्ठ ग्रह माना जाता है |
इस लिए रवि योग भी योगों में उत्तम एवं शुभफलदाय माना जाता है |
यह रवि योग सभी प्रकार के दोषों एवं अशुभ प्रभावों को दूर करता है |
यदि किसी दिन शुभ कार्य करना अनिवार्य हो एवं उस दिन कोई शुभ मुहूर्त न हो तो शुभ कार्य रवि योग में कर सकते है |
रवि योग में कार्यों में वांछित सफलता प्राप्त
होती हैं इस लिए यह अत्यंत लाभदायक योग है |
रवि योग के दिन भगवान सूर्य की पूजा करना उत्तम होता है |
रवि योग के दिन सूर्य देवता को अर्घ्य देनेसे भी विशेष लाभ होता है |
रवि योग के दिन सूर्य मंत्र का जप करना विशेष लाभदायक होता है |
रवि योग को सूर्य देव का वरदान प्राप्त है इस लिए यह अत्याधिक प्रभावशाली है |
रवि योग में किए गए सभी शुभ कार्यों में किसी भी प्रकार के विघ्न एवं बाधाएं उत्पन्न नहीं होती है तथा कार्य में शीघ्र सफलता मिलती है |
रवि योग में दूरस्थान की यात्राएं शुभफलदायक होती है |
रवि योग में कर्ज मुक्ति के प्रयास करने से कर्ज से शीघ्र मुक्ति मिल सकती है |
रवि योग में स्वास्थ्य वृद्धि के सभी प्रकार के प्रयास अथवा शल्य चिकित्सा उत्तम होती है |
रवि योग में लंबे समय से रुके हुए कार्य को पूर्ण करने का प्रयास भी विशेष लाभदाय सिद्ध होता है |
|| अस्तु ||
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Jyotish