महादेव कृत गणेश स्तोत्र
गणाधिप नमस्तुभ्यं सर्वविघ्नप्रशान्तिद |
उमानन्दप्रद प्राज्ञ त्राहि मां भवसागरात् ||
हरानन्दकर ध्यानज्ञानविज्ञानद प्रभो |
विघ्नराज नमस्तुभ्यं सर्वदैत्यैकसूदन ||
सर्वप्रीतिप्रद श्रीद सर्वयज्ञैकरक्षक |
सर्वाभीष्टप्रद प्रीत्या नमामि त्वां गणाधिप ||
श्री गणेशजी, आपको नमस्कार है |
आप सम्पूर्ण विघ्नोंकी शान्ति करनेवाले है |
उमाको आनन्द प्रदान करनेवाले परम बुद्धिमान् प्रभो |
भवसागरसे मेरा उद्धार कीजिये |
आप भगवान् शङ्करको आनन्दित करनेवाले है |
अपना ध्यान करनेवालोंको ज्ञान और विज्ञान प्रदान करते हैं |
विघ्नराज, आप सम्पूर्ण दैत्योंके
एकमात्र संहारक है,
आपको नमस्कार है |
आप सबको प्रसन्नता और लक्ष्मी देनेवाले हैं,
सम्पूर्ण यज्ञोंके एकमात्र रक्षक तथा सब प्रकारके मनोरथोंको पूर्ण करनेवाले है |
गणपते, मैं प्रेमपूर्वक आपको प्रणाम करता हूँ |
जो मनुष्य उपर्युक्त भावके मन्त्रोंसे गणेशजीका पूजन करता है,
वह सब पापोंसे मुक्त होकर स्वर्गलोकमें प्रतिष्ठित होता है |
अब मैं गणेशजीके बारह नामोंका कल्याणमय स्तोत्र सुनाता हूँ |
|| अस्तु ||
Tags:
Stotra