नक्षत्र गण्डांत
नक्षत्र गण्डांत |
न जीवति यदा जातो जीविते च धनी भवेत् ||
तिथि, नक्षत्र, लग्न के गण्डान्त में बालक का जन्म हो तो न जिये
जो जियो तो वह धनी हो |
ये छः नक्षत्र गण्ड हैं मूल, ज्येष्ठा, आश्लेषा, अश्विनी, रेवती और मघा |
ज्येष्ठा, मूल और आश्लेषा इन तीनो का प्रधान विचार होता है |
अश्विनी, रेवती तथा मघा इन तीन का नहीं |
ज्येष्ठा नक्षत्र फलम्
ज्येष्ठादौ मातरं हन्ति द्वितीये पितरं तथा |
तृतीये भ्रातरं चैव मातरं च चतुर्थके ||
आत्मानं पंचमे हन्ति षष्ठे गोत्रेक्षयो भवेत् |
सप्तमे चोभयकुल ज्येष्ठं भ्रातरमष्टमे ||
नवमे श्वसुरं हन्ति सर्व हन्ति दशांशके |
६० घड़ी के दस भाग करे, फिर ६ - ६ घड़ी का फल कहे |
यदि ज्येष्ठा नक्षत्र की पहली ६ घड़ी में बालक का जन्म हो तो नानी को अशुभ |
दूसरी ६ घड़ी में जन्मा हो तो नाना को कष्ट |
तीसरी ६ घड़ी में जन्मा हो तो मामा को कष्ट |
चौथी ६ घड़ी में जन्मा हो तो माता को कष्ट |
पांचवीं ६ घड़ी में जन्मा हो तो बालक को कष्ट |
छठी ६ घड़ी में जन्मा हो तो गोत्रं बालों को कष्ट |
सातवीं ६ घड़ी में नाना के परिवार को और अपने कुटुम्ब को कष्ट |
आठवीं ६ घडीं में भाई को कष्ट |
नवीं ६ घड़ी में ससुर को कष्ट तथा
दसवीं ६ घड़ी में सब कुटुम्ब को कष्ट कहे |