माँ दुर्गा के देह से उत्पन्न शक्तिया
माँ दुर्ग राक्षस वधात् समये देवी शरीरात् प्राकट्य शक्त्तयः
रु रु पुत्र दुर्ग नामक राक्षस ने ब्रह्मा से
वरदान प्राप्त किया कि उसकी मृत्यु किसी
स्त्री से हो पुरुष वर्ग से नहीं होवे |
मदगर्वित दैत्य ने इन्द्रादि लोकों पर आधिपत्य कर लिया |
देवों के द्वारा स्तुति करने पर महाशक्ति जगदंबा प्रकट हुई |
दुर्ग से युद्ध करते समय देवी के शरीर से अन्यान्य शक्तियाँ
उत्पन्न हुई वे इस प्रकार हैं |
शिव ने विष्णु से कहा दुर्गा के शरीर से जो शक्तियाँ उत्पन्न हुई
मैं उनका कीर्तन करता रहता हुँ |
यथा
त्रिपुरा, विजया, भीमा, तारा, त्रैलोक्यसुन्दरी, शांभवी,
त्रिजगन्माता, स्वरा, त्रिपुरसुन्दरी, कामाक्षा, कमलाक्षी, धृति,
त्रिपुरतापिनी, जया, जयन्ती, शिव, जलेशी,
रणप्रिया, गजवक्त्रा, त्रिनेत्रा, शंखिनी, अपराजिता,
महिषध्नी, शुभा, आनंदा, स्वधा, शिवाशना,
विद्युज्जिह्वा, त्रिवक्त्रा, चतुर्वक्त्रा, सदाशिवा,
कोटराक्षी, शिखि, वरा, त्रिपादा, सर्वमङ्गला,
मयूरवदना, सिद्धि, बुद्धि, काकवरासिनी, सर्वतारा,
लङ्कारतालकेशी, सर्वतारा, सुन्दरी, सर्पास्या, महाजिह्वा,
पासपाणि, गरुन्मती, पद्मावती, सुकेशी,पद्मकेशी,
क्षमावती, निद्रावती, खरमुखी, पद्मवक्त्रा,
षडानना, त्रिवर्गफलप्रदा, माया, रक्षोघ्नी,
पद्मवासिनी, प्रणवेशी, महोल्काभा, विध्नेशी,
स्तंभिनी, मातृका, वर्णरूपा, गुहा, अक्षवोढारनी,
अजया, मोहिनी, श्यामा, जयरूपा, बलोत्कटा,
वाराही, जंभा, वैष्णवी, वार्ताली, दैत्यतापिनी,
क्षेमङ्करी, सिद्धिकरी, रणमाया, सुरेश्वरी,
छिन्नमूर्द्धा, छिन्नकेशी, दानवेन्द्रक्षयंकरी,
शाकम्भरी, मोक्षलक्ष्मी, अश्वारूढा, जंभिनी,
बगलामुखी, महाक्लिन्ना, नारसिंही,
गजेश्वरी, सिद्धेश्वरी, चामुण्डा, विश्वदुर्गा,
शववाहना, ज्वालामुखी, कराली,
चिपिटा, खेचरेश्वरी, शुंभध्नी, दैत्यदर्पध्नी,
विन्ध्याचलवासिनी, योगिनी, विशालाक्षी,
मातंगी, त्रिपुरभैरवी, करालाक्षी,
गजारुढा, माहेश्वरी, पार्वती, कमला,
लक्ष्मी, श्वेताचलनिभा, उमा, कात्यायनी,
शंखरवा, धुर्धुरा, सिंहवाहिनी, नारायणी,
ईश्वरी, चण्डा, घण्टाली, देवसुन्दरी, विरूपा,
वामनी, कुब्जा, कर्णकुब्जा, धनस्तनी,
आदि नवकोटि शक्तियों ने भगवती दुर्गा के शरीर से
उत्पन्न होकर असुर का नाश किया |
|| अस्तु ||