शिवजी के उपर तिल चढ़ाना
शिवजी के उपर तिल चढ़ाना |
श्रावण मासे शिवर्थेतिलपर्वतनिवेदनफलञ्च
निवेदयीत शर्वाय श्रावणे तिलपर्वतम् |
स्वच्छेन्द्रनीलशङ्काशैः यानैरप्रतिमैः शुभैः ||
वर्षकोटिशतं दिव्यं शिवलोक महीयते |
भुक्त्वातु सकलान्भोगान् सर्वलोकेष्वनुक्रमात् |
क्रमाल्लोकमिमं प्राप्यं राजानं पतिमाप्नुयात् ||
श्रावण मास में शिव के प्रति तिलपर्वत निवेदित करना चाहिए |
इसके प्रभाव से व्रतकर्ता स्वच्छ इन्द्रनील के समान आभा वाले अप्रतिम,
सुन्दर यान पर सवार होता है और
सैकड़ों करोड़ो दिव्य वर्षों तक शिवलोक में निवास करता है |
वह समस्त भोगों का सभी लोकों में अनुक्रम से उपभोग करता है
और क्रम से इस लोक में आकर राजाओं का अधिपति होता है |
|| अस्तु ||
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