तुलसी को जल अर्पण करते समय यह श्लोक बोलना चाहिये |


 तुलसी को जल अर्पण करते समय यह श्लोक बोलना चाहिये 

 तुलसी को जल अर्पण करते समय यह श्लोक बोलना चाहिये


या दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुष्पावनी 
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी | 
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता 
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः || 

जो दर्शन करनेपर सारे पापसमुदायका नाश कर देती है, 
स्पर्श करनेपर शरीरको पवित्र बनाती है, 
प्रणाम करनेपर रोगोंका निवारण करती है, 
जलसे सींचनेपर यमराजको भी भय पहुँचाती है, 
आरोपित करनेपर भगवान् श्रीकृष्णके समीप ले जाती है और भगवान् के चरणोंमें चढ़ानेपर मोक्षरुपी फल प्रदान करती है, 
उस तुलसी देवीको नमस्कार है | 

|| अस्तु || 
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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