शिव जी का प्रिय अभिषेक
धृतस्न्नानस्य परमश्रेष्ठताज्ञेयम्
लिङ्गस्य दर्शनं पुण्यं दर्शनात्स्पर्शनं शुभम् |
स्पर्शनादर्चनं श्रेष्ठं धृतस्न्नान मतः परम् ||
शिवलिंग का दर्शन पुण्य प्रसूत होता है | दर्शन की अपेक्षा उसका स्पर्श करना शुभ है | स्पर्श की अपेक्षा अर्चन श्रेष्ठ माना गया है और धृत से स्नान करवाना तो परमश्रेष्ठ बताया गया है |
इहामुत्रकृतं पापं घृतस्न्नानेन देहिनाम् |
क्षमते शङ्करो यस्मात् तस्मात्स्न्नानं समाचरेत् ||
धृत स्नान से व्यक्ति द्वारा इहलोक परलोक में किए गए समस्त पापों को भगवान् शंकर क्षमा कर देते हैं | इस अर्थ में शिव स्नान को करवाना चाहिए |
जलदीनां स्न्नानमाहात्म्यमाह
दशापराधं तोयेन क्षीरेण तु शतं तथा |
सहस्त्रं क्षमते दध्ना घृतेनाप्युतं शिवः ||
शिवलिंग को जल से स्नान करवाने से दस प्रकार के अपराधों का निवारण होता है | दूध से स्न्नान करवाने से सौ पाप नष्ट होते हैं | दधि से स्नान करवाने से हजार पापों का शमन होता है जबकि घृत से स्नान करवाने पर भगवान् शिव अयुत(दश हजार ) पापों को क्षमा कर देते हैं |
नैरन्तर्येण यो मासं घृतस्न्नानं समाचरेत् |
एकविंशत्कुलोपेतः क्रीडते दिवि रुद्रवत् ||
जो कोई प्रतिमास निरन्तर शिवलिंग को धृत से स्नान करवाते हैं, वे अपने इक्कीस कुलों को तारकर देवता बनते हैं और रुद्र के समान ही देवलोक में क्रीड़ा करते हैं |
जलस्नानं पलशतं अभ्यङ्गः पञ्चविंशति |
पलानां द्वेसहस्त्रे तु महासन्नानं तु भक्तितः ||
शिव को पच्चीस पल से स्नान करवाएँ तो वह अभ्यङ्ग होता है | सौ पलों जल से स्नान करवाएँ तो वह स्नान होता है | दो हजार पलों से भक्ति सहित स्नान करवाएँ तो वह महास्नान कहा जाता है |
घृताभ्यङ्गे घृतस्नाने यत्नालिङ्गं विरुक्षयेत् |
यवगोधूमजैश्चूर्णैः तोषयेद्गन्धयोजितैः ||
धृतभ्यंग और धृतस्नान करवाने के उपरान्त शिवलिंग की चिकनाई को दूर करके रुखा करने का प्रयास करना चाहिए | इसके लिए जौ और गेहूँ के आटे का प्रयोग सुगन्धित द्रव्यों को मिलाकर करें और शिव को सन्तुष्ट करने का यत्न करना चाहिए |
सुखाष्णेनाम्भसा चापि स्न्नापयेत्तदनन्तरम् |
घर्षयेद्बिल्वपत्रैश्च तव पीठं च शोधयेत् ||
उक्त कृत्य के उपरान्त सुहाते सुहाते गर्म जल को लेकर स्नान करवाएँ और बिल्वपत्र लेकर उससे धीरे धीरे घिसाई करें और शिवलिंग की पीठ को शोधित कर सुखाएँ |
|| अस्तु ||