शिव अर्घ्यं विधि | Shiv Arghya Vidhi |

 


शिव अर्घ्यं विधि

अर्घ्यं पुष्पजलोपेतं यः शिवाय निवेदयेत् |
स पूज्यः सर्वलोकेषु शिववन्मोदते चिरम् ||

जो शिवलिंग को पुष्पों के जल से अर्घ्य निवेदित करता है,
 वह समस्त लोकों में पूज्य होकर शिव के समान ही
चिरकाल पर्यन्त आनन्दित रहता है |

शिव अर्घ्यं विधि



अर्घ्यमष्टाङ्गमापूर्य लिङ्गमूर्ध्नि निवेदयेत् |
दशवर्षसहस्त्राणि रुद्रलोके महीयते ||

अष्टांग मिले जल से शिवलिंग के शिखर पर अर्ध्य निवेदित करने से कर्ता को
दस हजार वर्षों तक रुद्रलोक में निवास मिलता है | 

शिव अर्घ्य के आठ अंग
आपः क्षीरं कुशाग्राणि दध्याज्यं च सतण्डुलम |
तिलसिद्धार्थकैश्चैवँ अर्घ्योष्टाङ्गः प्रकीर्तितः ||
जल - दूध-कुशाग्र-दही-घी-तण्डुल-तिल-सरसौ ||

|| अस्तु ||
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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