शिव अर्घ्यं विधि
अर्घ्यं पुष्पजलोपेतं यः शिवाय निवेदयेत् |
स पूज्यः सर्वलोकेषु शिववन्मोदते चिरम् ||
जो शिवलिंग को पुष्पों के जल से अर्घ्य निवेदित करता है,
वह समस्त लोकों में पूज्य होकर शिव के समान ही
चिरकाल पर्यन्त आनन्दित रहता है |
शिव अर्घ्यं विधि |
अर्घ्यमष्टाङ्गमापूर्य लिङ्गमूर्ध्नि निवेदयेत् |
दशवर्षसहस्त्राणि रुद्रलोके महीयते ||
अष्टांग मिले जल से शिवलिंग के शिखर पर अर्ध्य निवेदित करने से कर्ता को
दस हजार वर्षों तक रुद्रलोक में निवास मिलता है |
शिव अर्घ्य के आठ अंग
आपः क्षीरं कुशाग्राणि दध्याज्यं च सतण्डुलम |
तिलसिद्धार्थकैश्चैवँ अर्घ्योष्टाङ्गः प्रकीर्तितः ||
जल - दूध-कुशाग्र-दही-घी-तण्डुल-तिल-सरसौ ||
|| अस्तु ||
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