शमी वृक्ष का महत्व
शमी वृक्ष का महत्व |
गजानन उवाच
समीपत्रस्य महिमा शृणुष्वार्य महाबलम् |
न यज्ञैन च दानैश्च व्रतैः कोटिशतैरपि || २ ||
न जपैः पूजनैर्वापि मम तोषस्तथा भवेत् |
न पद्मैर्नान्यकुसुमैः शमीपत्रैर्यथा भवेत् || ३ ||
शमीति कीर्तनादेव पापं नश्यति वाचिकम् |
स्मरणान्मानसं पापं स्पर्शनात्कायजं तथा || ४ ||
नित्यं तत्पूजनाद्ध्यानाद्वन्दनाच्चैव भक्तितः |
निर्विघ्नता तथा ऽऽयुष्यं ज्ञानं पापक्षयोऽपि च || ५ ||
वाञ्छादिद्धिरचापल्यं जायते नात्र संशयः |
गजानन ने कहा
हे आर्य, तुम शमीपत्र की महाबलशाली महिमा को सुनो |
मुझको न तो यज्ञों से, न दानों, न कोटिशत ( सैकड़ों करोड़ ) व्रतों,
न जपों, न पूजाओं,
न कमल के पुष्पों एवं न अन्य पुष्पों के अर्पण से उस प्रकार का संतोष होता है जैसा कि मुझको शमीपत्र अर्पण करने पर होता है || २-३ ||
शमी का नाम लेने मात्र से वाचिक पाप नष्ट होते हैं,
स्मरण से मानस पाप तथा उसके स्पर्श से कायिक पाप नष्ट होते हैं || ४ ||
|| अस्तु ||