खड्गमाला मन्त्रः नामवाली
अस्यश्रीखड्गमालामन्त्रस्य उपस्थाधिष्ठायने वरुणादित्य ऋषये नमः शिरसि,
गायत्रीच्छन्दसे नमः मुखे, ललितदेवतायै नमः हृदये, क बीजाय नमः गुह्ये,
ह शक्तये नमः पादयोः,स कीलकाय नमः नाभौ,
श्रीललिता प्रसादसिद्धयर्थे पाठे विनियोगः |
कुटत्रयद्विरावृत्या करहृदयादिन्यासः |
ध्यानम्
बालार्कारुणतेजसां त्रिनयनां रक्ताम्बरोल्लासिनीं
नानालङ्कृतिराजमानवपुषं बालोड्राड्शेखराम्
हस्तैरिक्षुधनुः सृणींसुमशरान् पाशं मुदा विभ्रतीं
श्रीचक्रस्थितसुन्दरीं त्रिजगतामाधारभूतां स्मरेत् |
ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरसुन्दर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं हृदयदेव्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं शिरोदेव्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं शिखादेव्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं कवचदेव्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं नेत्रदेव्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अस्त्रदेव्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं त्वरितायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं कुलसुन्दर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं नित्यायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं नीलपताकायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं विजयायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वमङ्गलायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं ज्वालामालिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं चित्रायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं कामेश्वर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं भगमालिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं नित्यक्लिन्नायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं भेरुण्डायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं वह्निवासिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महावज्रेश्वर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं शिवदूत्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं वासुदेवमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं श्रीरामानन्दमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अणिमा सिद्ध्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं लधिमा सिद्ध्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महिमा सिद्ध्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं ईशित्व सिद्ध्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं वशित्व सिद्ध्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं प्राकाम्य सिद्ध्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महानित्यायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं परमेश्वरपरमेश्वर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं मित्रिशमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं षष्ठीशमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं उड्डीशमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं चर्यानाथमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं लोपामुद्रामय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अगस्त्यमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं कालतापनमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं धर्माचार्यमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं मुक्तकेशीश्वरमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं दीपकलानाथमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं विष्णुदेवमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं प्रभाकरदेवमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं तेजोदेवमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं भुक्ति सिद्ध्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं इच्छा सिद्ध्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं प्राप्ति सिद्ध्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वकाम सिद्ध्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं ब्राह्म्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रींमाहेश्वर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं कौमार्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं वैष्णव्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं वाराह्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं माहेन्द्र्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं चामुण्डायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वसंक्षोभिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वविद्राविण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वाकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं मनोजदेवमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं कल्याणदेवमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं रत्नदेवमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वखेचर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वबीजायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वयोन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वत्रिखंण्डायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं त्रैलोक्यमोहन चक्रस्वामिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं प्रकटयोगिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं कामाकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं बुद्धया कर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अहङ्कारा कर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं शब्दा कर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं स्पर्शा कर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्ववशङ्कर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वोन्मादिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वमहाङ्कुशायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अनङ्गकुसुमायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अनङ्गमेखलायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अनङ्गमदनायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अनङ्गमदनातुरायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अनङ्गरेखायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अनङ्गवेगिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अनङ्गाङ्कुशायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अनङ्गमालिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वसंक्षोभणचक्रस्वामिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं गुप्ततरयोगिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वसंक्षोभिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं रूपाकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं रसाकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं गन्धकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं चित्ताकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं धैर्याकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं स्मृत्याकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं नामाकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं बीजाकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं आत्माकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अमृताकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं शरीराकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वाशापरिपूरकचक्रस्वामिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं गुप्तयोगिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वविद्राविण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वाकर्षिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वाह्लादिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वसम्मोहिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वस्तम्भिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वजृम्भिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वशङ्कर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वरञ्जिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वोन्मादिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वार्थसाधिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वसम्पत्तिपूरण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वमन्त्रमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वद्वन्द्वक्षयङ्कर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वसौभाग्यदायकचक्रस्वामिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सम्प्रदाययोगिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वसिद्धिप्रदायैनमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वसम्पत्प्रदायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वप्रियङ्कर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वमङ्गलकारिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वकामप्रदायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वदुःखविमोचिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वमृत्युप्रशमिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वविघ्ननिवारिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वाङ्गसुन्दर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वसौभाग्यदायिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वार्थसाधकचक्रस्वामिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं कुलोतीर्णयोगिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वज्ञायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं निगर्भयोगिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं वशिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं कामेश्वर्यैं नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं मोदिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं विमलायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अरुणायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं जयिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वेश्वर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं कौलिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वरोगहरचक्रस्वामिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं रहस्ययोगिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं बाणिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं चापिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं पाशिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वशक्त्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वैश्वर्यप्रदायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वज्ञानमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वव्याधिविनाशिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वाधरस्वरुपायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वपापहरायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वानन्दमय्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वरक्षास्वरुपिण्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वेप्सितप्रदायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वरक्षाकरचक्रस्वामिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं परापररहस्ययोगिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरेश्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अङ्कुशिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महाकामेश्वर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महावज्रेश्वर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महाभगमालिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महाश्रीसुन्दर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वसिद्धिप्रदचक्रस्वामिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं अतिरहस्ययोगिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं श्रीश्रीमहाभट्टारिकायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं सर्वानन्दमयचक्रस्वामिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महामहाराज्ञ्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महामहाशक्त्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महामहागुप्तायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महामहाज्ञप्तायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरसुन्दर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरवासिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुराश्रियै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरमालिन्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरासिद्धायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुराम्बमहात्रिपुरसुन्दर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महामहेश्वर्यै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महामहानन्दायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महामहास्पन्दायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महामहाशयायै नमः |
ऐं ह्रीं श्रीं महामहाश्रीचक्रनगर - साम्राज्ञ्यै
नमस्ते नमस्ते नमस्ते स्वाहा श्रीं ह्रीं - ऐं ॐ श्रीपरदेवतार्पणमस्तु |
|| इति खड्गमाला मन्त्रः नामावली ||