विष्णु के प्रति 32 अपराध
विष्णु के प्रति 32 अपराध |
विष्णु के प्रति 32 अपराध
नित्यपूजा के 32 नियम
32 पापो से बचे
भगवान् के प्रति 32 अपराध करना
अगर आप नित्य पूजा करते है तो अवश्य इस नियमो का पालन करे |
1 लाख नहीं 1 करोड़ मंत्र भी करेंगे तो भी इन नियमो के बिना
कोई फल नहीं मिलेगा |
1 - पादुका (चप्पल-जूते )पहनकर मंदिर में प्रवेश करना |2 - देवोत्त्सव में विष्णु की सेवा ना करना |3 - विष्णु के समीप जाकर प्रणाम ना करना |4 - जूठी अवस्था या अपवित्र अवस्था में भगवन को प्रणाम करना |5 - एक हाथ से भगवान् को प्रणाम करना |6 - विष्णु के सम्मुख अन्य देवता की प्रदक्षिणा करना |7 - विष्णु के सम्मुख पैर फैलाना |8 - भगवान् के सामने अन्य वस्त्र द्वारा दोनों जाँघों को बाँधकर बैठना |9 - देवता के सामने सोना |10 - भोजन करना |11 - झूठ बोलना |12 - ऊँचे स्वर में बोलना |13 - गप - शप या इधर - उधर की बातें करना |14 - रोना |15 - झगड़ा करना |16 - किसी का अपमान करना |17 - किसी का पक्षपात करना |18 - किसी स्त्री को कठोर बात कहना |19 - भगवान् को कम्बल से ढकना |20 - भगवान् के सामने किसी की निन्दा करना |21 - किसी की प्रशंसा करना |22 - अश्लील बात करना |23 - अधोवायु छोड़ना |24 - समर्थ होते हुए भी समुचित उपचारों से पूजा न करना |25 -भगवान् को भोग लगाए बिना कुछ भी खाना |26 - उपलब्ध मौसमी फलों को न चढ़ाना |27 - दूसरे द्वारा व्यवहत भोजन में से बचे व्यंजन को भगवान् को समर्पित करना |28 - उद्धत भाव से बैठना |29 - प्रशंसा के बहाने निन्दा करना |30 - गुरुप्रशंसा के स्थान पर मौन रहना |31 - आत्मप्रशंसा |32 - देवनिन्दा |
उक्त 32 अपराधों के अतिरिक्त्त अन्य निन्दनीय कर्म भी अपराध माने गये हैं |वशिष्ठसंहिता में लिखा है कि जो हरिदिवस में विष्णु के सम्मुख नाच - गान नहीं करता,यह सारे नित्य नियम दैनिक पूजा और आध्यात्मिक पूजा के है जिसका अवश्य नित्य चाहिए |
खासकर जब अनुष्ठान आदि करते है तब ||
|| अस्तु ||
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