सरस्वती कवच
सरस्वती कवच |
यह कवच श्री देवी भागवत के नवम स्कंध में से लिया हुआ है |
माँ सरस्वती का यह कवच विद्या-धन-बुद्धि प्रदान करता है |
इस कवच के 5 लाख पाठ करने से बृहस्पति के समान बुद्धि और
विद्या प्राप्त होती है |
यह कवच न शापित है और ना कीलित है |
विनियोगः
ॐ अस्य श्री सरस्वती कवचस्य प्रजापतिरृषिः
बृहती छन्दः शारदाम्बिका देवता चतुर्वर्गसिद्धये विनियोगः |
श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा शिरो में पातु सर्वतः |
श्रीं वाग्देवतायै स्वाहा भालं में सर्वदाऽवतु ||
ॐ ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहेति श्रोत्रे पातु निरन्तरम् |
ॐ श्रीं ह्रीं भगवत्यै स्वाहा नेत्र युग्मं सदाऽवतु ||
ऐं ह्रीं वाग्वादिन्यै स्वाहा नासां में सर्वदाऽवतु |
ह्रीं विद्याधिष्ठातृ देव्यै स्वाहा चोष्ठं सदाऽवतु ||
ॐ श्रीं ह्रीं ब्राह्म्यै स्वाहेति दन्तपंक्ति सदाऽवतु |
ऐमित्येकाक्षरो मंत्र मम कण्ठं सदाऽवतु ||
ॐ श्रीं ह्रीं पातु में ग्रीवां स्कन्धौ में श्रीं सदाऽवतु |
ॐ ह्रीं विद्याधिष्ठातृ देव्यै स्वाहा वक्षः सदाऽवतु ||
ॐ ह्रीं विद्याधिस्वरुपायै स्वाहा में पातु नाभिकाम् |
ॐ ह्रीं वागाधिष्ठातृ देव्यै स्वाहा मां सर्वदाऽवतु ||
ॐ सर्वकण्ठवासिन्यै स्वाहा प्राच्यां सदाऽवतु |
ॐ सर्वजिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहाऽग्नि दिशि रक्षतु ||
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा |
सततं मंत्रराजोऽयं दक्षिणे मां सदाऽवतु ||
ऐं ह्रीं श्रीं त्र्यक्षरो मंत्रो नैऋत्यां सर्वदाऽवतु |
ॐ ऐं जिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहा मां वारुणेऽवतु ||
ॐ सर्वाम्बिकायै स्वाहा वायव्ये मां सदाऽवतु |
ॐ ऐं श्रीं क्लीं गद्यवासिन्यै स्वाहा मामुत्तरेऽवतु ||
ऐं सर्वशास्त्रावासिन्यै स्वाहैशान्यां सदाऽवतु |
ॐ ह्रीं सर्वपूजितायै स्वाहा चोर्ध्वं सदाऽवतु ||
ह्रीं पुस्तक वासिन्यै स्वाहाऽधो मां तदाऽवतु |
ॐ ग्रन्थबीजस्वरुपायै स्वाहा सर्वतोवतु ||
इतिते कथितं विप्र ब्रह्ममंत्रौघ विग्रहम् |
इदं विश्वविजयं नाम कवचं ब्रह्मरूपकम् ||
पुराश्रुतं कर्मवक्त्रात्पर्वते गन्धमादने |
तव स्नेहान्मयाऽख्यातं प्रवक्तव्यं न कस्यचित् ||
|| श्री देवीभागवते नवम स्कन्धे सरस्वती कवच सम्पूर्णम ||
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