श्री चण्डीध्वज स्तोत्र
श्री चण्डीध्वज स्तोत्र |
ॐ अस्य श्री चण्डीध्वज स्त्रोत्र महामन्त्रस्य | मार्कण्डेय ऋषिः| अनुष्टुप छन्दः |
श्रीमहालक्ष्मीर्देवता | श्रां बीजम् | श्रीं शक्तिः | श्रूं कीलकम् | मम वाञ्छितार्थ फलसिद्ध्यर्थं जपे विनियोगः |
अञ्गन्यासः |
श्रां श्रीं श्रुं श्रैं श्रौं श्रः इति कर हृदयादिन्यासौ |
ॐ श्रीं नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै भूत्यै नमो नमः |
परमानन्दरूपायै नित्यायै सततं नमः || १ ||
नमस्तेऽस्तु महादेवि परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि में सदा || २ ||
रक्ष मां शरण्ये (शरणम्) देवि धन धान्य प्रदायिनि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि में सदा || ३ ||
नमस्तेऽस्तु महाकाली परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || ४ ||
नमस्तेऽस्तु महालक्ष्मी परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि में सदा || ५ ||
महासरस्वती देवी परब्रह्माणस्वरूपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || ६ ||
नमो ब्राह्मी नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || ७ ||
नमो महेश्वरी देवि परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि में सदा || ८ ||
नमस्तेडस्तु च कौमारी परब्रह्मस्वरूपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि में सदा || ९ ||
नमस्ते वैष्णवी देवि परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि में सदा || १० ||
नमस्तेऽस्तु च वाराही परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || ११ ||
नारसिंही नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरूपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || १२ ||
नमो नमस्ते इन्द्राणी परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || १३ ||
नमो नमस्ते चामुण्डे परब्रह्मस्वरूपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || १४ ||
नमो नमस्ते नन्दायै परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || १५ ||
रक्तदन्ते नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || १६ ||
नमस्तेऽस्तु महादुर्गे परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || १७ ||
शाकम्भरी नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || १८ ||
शिवदूति नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || १९ ||
नमस्ते भ्रामरी देवी परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || २० ||
नमो नवग्रह रुपे परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || २१ ||
नवकूट महादेवि परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || २२ ||
स्वर्णपूर्णे नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || २३ ||
श्रीसुंदरी नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || २४ ||
नमो भगवती देवी परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || २५ ||
दिव्ययोगिनी नमस्ते परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || २६ ||
नमस्तेऽस्तु महादेवी परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || २७ ||
नमो नमस्ते सावित्री परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || २८ ||
जयलक्ष्मी नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || २९ ||
मोक्षलक्ष्मी नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि |
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा || ३० ||
चण्डीध्वजमिदं स्तोत्रं सर्वकामफलप्रदम् |
राजते सर्वजन्तूनां वशीकरण साधनम् || ३१ ||
|| श्रीचण्डीध्वज स्तोत्र सम्पूर्णं ||
Tags:
Stotra