उपाङ्गललिता व्रत | ललिता व्रत |
माँ भगवती दुर्गा को माँ ललिता को प्रसन्न
करने का इससे उत्तम व्रत और कोई नहीं है |
नवरात्री में अवश्य करे यह व्रत |
आश्विन शुक्ल पञ्चमी अर्थात पांचवा नवरात्र जो है उससे ही
उपांगललिता का व्रत कहते है |
इस दिन निराहार-फलाहार या एक समय फलाहार
एक समय भोजन कर यह व्रत कर सकते है |
इस दिन माँ ललिता देवी की सोलह उपचार पूजन करे |
या सर्वोत्तम श्रीयंत्र के ऊपर सहस्त्रार्चन करे |
माँ ललिता के एक एक नाम बोलकर पुष्प की पंखुडिया अर्पण करे |
अगर यह ना भी कर सकते है तो कम से कम
एक पाठ ललिता सहस्त्र का अवश्य करे |
किन्तु समय के विषय में कई मत मतान्तर है
कई जगह प्रमाण है की यह व्रत या पूजा रात्रिकाल में ही करनी चाहिए |
तो अवश्य यह विधान आप रात्रिकाल में भी कर सकते हो |
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करे |
भूमिशयन करे |
माँ भगवती ललिता की आराधना करे |
हो सके तो माँ ललिता के समीप या
श्रीयंत्र की दायी और घी का दीपक प्रज्वलित रखे |
|| अस्तु ||
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