शिव सहस्त्राक्षर मृत्युञ्जय माला मंत्र | Shiv sahasrakshara mrityunjaya mala mantra |


शिव सहस्त्राक्षर मृत्युञ्जय माला मंत्र

शिव सहस्त्राक्षर मृत्युञ्जय माला मंत्र | Shiv sahasrakshara mrityunjaya mala mantra |
शिव सहस्त्राक्षर मृत्युञ्जय माला मंत्र


भगवान् शिव का एक हजार शब्दों वाला यह बहुत ही चमत्कारिक-प्रभावशाली-शीघ्रफलदायी और शिवकृपा देने वाला सहस्त्राक्षर मृत्युञ्जय माला मंत्र |

यह मंत्र सबकुछ देने में समर्थ है |
यह मंत्र में कोई विशेष प्रावधान नहीं है जैसे विनियोग-न्यास आदि |
यह मंत्र नाहि श्रापित है या ना कीलित |
इस मंत्र को किसी भी सोमवार से आरम्भ कर सकते है | या शीघ्र प्रभाव पाने लिए किसी भी दिन से आरम्भ कर सकते है |
इस मंत्र साधना करने से बीमार मनुष्य बहुत जल्द ठीक हो जाता है |
भूतप्रेत की कोई भी समस्या हो तो वो जल्द ही ख़त्म हो जाती है |
नवग्रह की कोई भी समस्या हो वो समाप्त हो जाती है |
नजरदोष की कोई भी समस्या हो तो सब ठीक हो जाती है |
कोई अरिष्ट महादशा चल रही हो तो वो भी समस्या ख़त्म हो जाती है |
पारिवारिक कलह मिटाने में सहायता करता है |
वास्तुदोष को भी समाप्त कर देता है |
शत्रुओ को परास्त कर देता है यह स्तोत्र |
किसी भी प्रकार की बाधाओं को समाप्त कर देता है यह स्तोत्र |
जीवन की हर एक समस्या को समाप्त कर देता है |
कोर्ट कचेरी क्षेत्र में विजय प्राप्ति के लिए यह अनुष्ठान कर सकते है |

साधना विधान :
इस मंत्र साधना को १०८ करे  |
अधिक प्रभाव पाने के लिए इस स्तोत्र का ( माला मंत्र ) का १००० पाठ भी कर सकते है |
अगर अनुष्ठान ना कर सके तो प्रतिदिन ३ पाठ करने से भी फल प्राप्त कर सकते है |

शिव सहस्त्राक्षर मृत्युञ्जय माला मंत्र
ॐ नमो भगवते सदाशिवाय सकलतत्त्वात्मकाय सर्वमन्त्रस्वरूपाय सर्वयंत्राधिष्ठिताय सर्वतन्त्रस्वरूपाय सर्वतत्वविदूराय ब्रह्मरुद्रावतारिणे नीलकण्ठाय पार्वतीप्रियाय सोमसूर्याग्निलोचनाय भस्मोद्धूलितविग्रहाय महामणिमुकुटधारणाय माणिकभूषणाय सृष्टिस्थितिप्रलयकालरौद्रावताराय दक्षाध्वरसङ्काय महाकाल भेदकाय मूलाधारैकनिलयाय तत्त्वातीताय गङ्गाधराय सर्वदेवाधिदेवाय षड़ाश्रयाय वेदान्तसाराय त्रिवर्गसाधनायानेक कोटिब्रह्माण्डनायकाय अनंत वासुकि तक्षक कर्कोटक खख्ङ्ग कुलिक पद्म महापद्मेत्यष्टनागकुलभूषणाय प्रणवस्वरुपाय चिदाकाशायाकाशादि स्वरूपाय ग्रहनक्षत्रमालिने सकलाय कलङ्करहिताय सकललोकैककर्त्रे सकललोकैकसंहर्त्रे सकललोकैकभर्त्रे सकललोकैकसाक्षिणे सकलनिगमगुह्याय सकलवेदान्तपारगाय सकललोकैकवरप्रदाय सकललोकैकशङ्कराय शशाङ्कशेखराय शाश्वतनिजावासाय निराभासाय निरामयाय 
निर्मलाय निर्लोभाय निर्मोहाय निर्मदाय निश्चिन्ताय निरहँकाराय निराकुलाय निष्कलङ्काय निर्गुणाय निष्कामाय निरुपप्लवाय निरवद्याय निरन्तराय निष्कारणाय निरातंकाय निष्प्रपञ्चाय निस्सङ्गाय निर्द्वन्द्वाय निराधाराय निरोगाय निष्क्रोधाय निर्गमाय निष्पापाय निर्भयाय निर्विकल्पाय निर्भेदाय निष्क्रियाय निस्तुलाय निस्संशयाय निरञ्जनाय निरुपमविभवाय नित्यशुद्धबुद्ध परिपूर्ण सच्चिदानंद अदृष्याय परमशान्तस्वरूपाय तेजोरुपाय तेजोमयाय जय जय महारौद्र भद्रावतार महाभैरव कालभैरव कल्पांतभैरव कपालमालाधर खट्वाङ्ग खड्ग पाशांकुश डमरू त्रिशूलचापवाणगदा शक्ति भिन्दिपाल तोमर मुसलमुद्गर पट्टिशपरशुपरिघ भुशुण्डि शघ्नी चक्राद्यायुध भीषण करसहस्त्रमुखदंष्ट्रा करालविकटाट्टहास विस्फारित ब्रह्माण्ड मण्डल नागेन्द्रकुण्डल नागेन्द्रहार नागेन्द्रवलय नागेन्द्रचर्मधर मृत्युञ्जय त्र्यम्बक त्रिपुरान्तक विरुपाक्ष विश्वेशर विश्वरूप वृषवाहन विश्वतोमुख सर्वतो मां रक्ष रक्ष | 
ज्वल ज्वल महामृत्युभयमपमृत्युभयं नाशय नाशय रोगभयमुत्साद योत्सादय विषसर्पभयं शमय शमय चौरान मारय मारय मम शत्रून उच्चाटयोच्चाटय त्रिशूलेन विदारय विदारय कुठारेण भिन्धि भिन्धि खड्गेन छिन्धि छिन्धि खट्वांगेन विपोथय विपोथय मुसलेन निष्पेषय निष्पेषय बाणै: सन्ताडय सन्ताडय रक्षांसि भीषय भीषय भूतानि विद्रावय विद्रावय कूष्माण्ड वेताल मारीच ब्रह्मराक्षसगणां संत्रासय संत्रासय मामऽभयं कुरु कुरु वित्रस्तं मामाश्वासय नरकभयाद मामुद्धरोद्धर सञ्जीवय सञ्जीवय क्षुतृङ्गभ्यां मामाप्याययाप्यायय दुःखातुरं मामनन्दयानन्दय शिवकवचेन मामाच्छादयाच्छादय मृत्युञ्जय त्र्यम्बक सदाशिव नमस्ते नमस्ते नमस्ते स्वाहा ||

|| श्री रस्तु ||
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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