मृत्युञ्जय मंत्र के भेद
मृत्युञ्जय मंत्र के भेद |
मृत्युंजय यानी मृत्यु पर जय प्राप्त करने की विद्या |
जिन्हे महामृत्युञ्जय मंत्र भी कहते है | लेकिन इसमें भी कई भिन्न भिन्न प्रकार के मंत्रो का दर्शन हमारे शांस्त्रो में होता है |
अधिकतर महामृत्युञ्जय मंत्र का विधान रोगो की पीड़ा हरने के लिए किये जाते है | ग्रहो की अरिष्ट पीड़ाओं के कष्ट को शमन करने के लिए किया जाता है |
शिवलिङ्ग या शिव मंदिर में अलग अलग द्रव्यों से अभिषेक से या यज्ञ से इसका अनुष्ठान आदि किया जाता है |
अभिचार कर्म-भूत-प्रेत बाधा आदि का शमन करने के लिए | जैसी कामना वैसे अनुष्ठान किया जाता है |
|| महामृत्युञ्जय के भेद प्रमाण ||
मृत्युञ्जयस्त्रिधा प्रोक्त आद्यो मृत्युंजयः स्मृतः |
मृतसञ्जीवनी चैव महामृत्युञ्जयस्तथा ||
मृत्युञ्जयः केवलः स्यात पुटितो व्याहृतित्रयै: |
तारं त्रिबीजं व्याहृत्य पुटितो मृतसञ्जीवनी ||
तारं त्रिबीजं व्याहृत्य पुटितैस्तैस्त्रयम्बकः |
महामृत्युञ्जयः प्रोक्तः सर्वमन्त्रविशारदैः ||
इसका अर्थ है
जब "त्र्यंबकं यजामहे" ऋचा को आद्य शुरुआत में व् अंत में व्याहृति
भूः र्भुवः स्वः से जब सम्पुट किया जाए तो उसे मृत्युञ्जय मंत्र कहते है जैसे
"ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्व्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः ॐ र्भुवः ॐ भूः "
इस मंत्र को महामृत्युञ्जय मंत्र कहा जाता है |
किन्तु जब इसी ऋचा को "हौं जूं सः" इस से सम्पुट करते है तो इस मंत्र को मृतसञ्जीवनी मंत्र कहा जाता है |
"ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्व्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ"
अन्य महामृत्युञ्जय मंत्र
"ॐ हौं ॐ जूं ॐ सः ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्व्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः ॐ भुवः ॐ भूः ॐ सः ॐ जूं ॐ हौं ॐ स्वाहा"
त्रिंशदक्षर मृत्युञ्जय मंत्र
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्व्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ"
एकाक्षर मृत्युञ्जय
" हौं " ( इसी मंत्र में जब अग्नितत्व या अग्नि बीज "र" को जोड़ा जाए तब होता है "ह्रौं"
त्र्यक्षरी मृत्युञ्जय
"ॐ जूं सः" अन्यमते हौं जूं सः"
चतुरक्षरी मृत्युञ्जय
"ॐ हौं जूं सः"
चतुरक्षरी मृत्युञ्जय जिन्हे अमृतमृत्युञ्जय भी कहा जाता है
"ॐ वं जूं सः"
नवाक्षरी मृत्युञ्जय
"ॐ जूं सः पालय पालय"
दशाक्षरी मृत्युञ्जय
"ॐ जूं सः पालय पालय सः जूं ॐ"
वैदिक मृत्युञ्जय मंत्र
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्व्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् |
पौराणिक मृत्युञ्जय श्लोक
ॐ मृत्युञ्जय महादेव त्राहिमां शरणागतम् |
जन्ममृत्यु जराव्याधि पीडितं कर्मबन्धनैः ||
इसके अलावा भी मृत्युञ्जय मन्त्र को कामना के अनुसार सम्पुटित कर प्रयोग किया जाता है |
|| अस्तु ||
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