मृतसञ्जीवनी महामृत्युञ्जय मंत्र
मृतसञ्जीवनी महामृत्युञ्जय मंत्र |
इस मंत्र को सञ्जीवन करनेवाला अर्थात सभी दर्दो की औषधि के रूप में माना जाता है | बहुत ही अद्भुत एवं चमत्कारिक मंत्र है यह | यह मंत्र शुक्राचार्य के द्वारा उत्पन्न किया गया है |
इस में विनियोग न्यास आदि का प्रावधान जरुरी है |
विनियोगः
ॐ अस्य श्री मृतसञ्जीवनी महामृत्युञ्जय मंत्रस्य वामदेव कहोल वसिष्ठऋषिः पङ्क्तिः गायत्री अनुष्टुप छन्दः श्रीमहामृत्युञ्जयरुद्रो देवताः ह्रौं बीजं जूं शक्तिः सः कीलकं श्रीमृत्युञ्जय देवता प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ||
ऋष्यादिन्यासः
वामदेव कहोल वसिष्ठ ऋषये नमः शिरसि |
पङ्क्ति गायत्री अनुष्टुपछन्दसे नमः मुखे |
श्रीमहामृत्युञ्जय रूद्र देवतायै नमः हृदये |
ह्रौं बीजाय नमः गुह्ये |
जूं शक्तये नमः पादयोः |
सः कीलकाय नमः नाभौ |
विनियोगाय नमः सर्वाङ्गेषु |
षडङ्गन्यास :
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यंबकं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः |
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ यजामहे तर्जनीभ्यां नमः |
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं मध्यमाभ्यां नमः |
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ उर्वारुकमिव बंधनात् अनामिकाभ्यां नमः |
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ मृत्योर्मुक्षीय कनिष्ठिकाभ्यां नमः |
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ मामृतात् करतलकरपृष्ठाभ्याम् नमः |
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ हृदयाय नमः |
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ शिरसे स्वाहा |
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ शिखायै वौषट् |
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ कवचाय हुम् |
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ नेत्रत्रयाय वौषट् |
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ अस्त्राय फट् |
शिव ध्यानं :
चन्द्रार्काग्नि विलोचनं स्मितमुखं पद्मद्वयांतः स्थितं
मुद्रापाशमृगाक्षसूत्र विलसत् पाणिं हिमांशु प्रभम् |
कोटिरेन्दुगलत् सुधाप्लुत तनुं हारादि भूषोज्ज्वलं
कान्त्या विश्व विमोहनं पशुपतिं मृत्युञ्जये भावये ||
मंत्र :
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्वारुकमिव बंधनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् | ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ ||
इसका पुरश्चरण एक लाख मंत्र का है |
पश्चात दशांश यज्ञ
यज्ञ सामग्री :
बिल्वं पलाशं खदिरं परं च तिल सर्षपौ |
दुग्धं दाधिपुनर्दूर्वा होमे तानि विदुर्बुधाः ||
बिल्व समिध से धनप्राप्ति होती है
पलाश से तेजोमय वृद्धि
खदिर से कांतिवृद्धि
वटवृक्ष की समिध से धन और आयु की वृद्धि
सफ़ेद और काले तिल से पापो से मुक्ति
सरसौ से शत्रुओ का नाश
पायस से रक्षा और सामाजिक मान सन्मान
गाय के दूध से उपद्रवों का नाश
दहि से कलह दूर होता है |
अन्यान्य विधान
पायस से आयुवृद्धि
दूर्वा से आयु वृद्धि
जामुन के समिध से धन प्राप्ति
लाजा के होम से कन्या को अच्छे वर की प्राप्ति होती है ||
दशांश तर्पण - तर्पण दूध और जल को मिश्रित कर के करे |
दशांश मार्जन
ब्रह्मभोजन करवाये |
|| अस्तु ||
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