एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधी
एक मुखी रुद्राक्ष मंत्र |
अथ एकमुखीरुद्राक्षधारणविधिः
एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधी |
एक मुखी रुद्राक्ष मंत्र |
मन्त्रः
"ॐ हं औं ऐं ॐ"
विनियोग
अस्य श्री शिव मन्त्रस्य प्रासाद ऋषिः पंक्तिः छन्दः शिवो
देवता हंकारो बीजम् औं शक्तिः मम चतुर्वर्गसिद्ध्यर्थे एकमुखी रुद्राक्ष
धारणार्थे जपे विनियोगः |
न्यासः
वामदेव ऋषये नमः शिरसि |
पंक्तिश्छन्दसे नमो मुखे |
ऋ एम् ऐं नमः हृदि |
हं बीजाय नमो गुह्ये |
ओं शक्तये नमः पादयो |
ॐ ॐ ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः |
ॐ ऐं ह्रीं तर्जनीभ्यांस्वाहा |
ॐ ह्रीं ह्रूं मध्यमाभ्यां वौषट् |
ॐ आं ह्रैं अनामिकाभ्यां हुं |
ॐ ऐं ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् |
ॐ उं ह्रः अनामिकाभ्यां हुं |
ॐ ऐं ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् |
ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां फट् इति करन्यासः ||
( अथाङ्ग न्यासः )
ॐ ॐ ह्रां हृदयाय नमः |
ॐ ऐं ह्रीं शिरसे स्वाहा |
ॐह्रैं ह्रूं शिखायै वौषट |
ॐ औं ह्रैं कवचाय हुम् |
ॐ ऐं ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट |
ॐ ॐ ह्रः अस्त्राय फट |
ॐ मृत्युञ्जय महादेव त्राहिमां शरणागतं |
जन्ममृत्यु जराव्याधि पीडितं कर्म बंधनै: ||
मानसोपचार पूजा
ॐ लं पृथिव्यात्मक गन्धं परिकल्पयामि |
हे प्रभु में आपको पृथ्वीरूप चंदन आपको अर्पण करता हु |
ॐ हं आकाशात्मकं पुष्पं परिकल्पयामि |
हे प्रभु में आपको आकाशरूपी पुष्प (सुंगंध) अर्पण कर रहा हु |
ॐ यं वाय्वात्मकं धूपं परिकल्पयामि |
हे प्रभु में आपको वायुदेव के रूप में आपको धूप अर्पण कर रहा हु |
ॐ रं वह्न्यात्मकं दीपं दर्शयामि |
हे प्रभु में आपको अग्निदेव के रूप में दीप प्रदान कर रहा हु |
ॐ वं अमृतात्मकं नैवेद्यं निवेदयामि |
हे प्रभु में आपको अमृत रूपी नैवेद्य अर्पण कर रहा हु |
ॐ सौं सर्वात्मकं सर्वोपचारं परिकल्पयामि |
हे प्रभु में सर्वात्म रूप से आपको संसार की सभी पूजा सामग्री आपको समर्पित कर रहा हु आप स्वीकार करे | प्रसन्न हो |
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