श्रीं बीजयुक्त महालक्ष्मी के 108 नाम | Mahalakshmi 108 Namavali |



श्रीं बीजयुक्त महालक्ष्मी के 108 नाम 

श्रीं बीजयुक्त महालक्ष्मी के 108 नाम | Mahalakshmi 108 Namavali |
श्रीं बीजयुक्त महालक्ष्मी के 108 नाम  



श्री महालक्ष्मी कमला अष्टोत्तरशत नामावली साधना 

यह साधना लक्ष्मी के भण्डार भरदेने वाली है | 
अगर किसी भी प्रकार से धनलक्ष्मी प्राप्त करनी है तो यह साधना रामबाण है | 
इस साधना में संकल्प - विनियोग - न्यास - ध्यान का माहात्म्य है | 

सर्वप्रथम दाए हाथ में जल लेकर संकल्प करे | 

संकल्प : 

मम स कुटुम्बस्य स परिवारस्य नित्य कल्याण प्राप्ति अर्थं अलक्ष्मी विनाशपूर्वकं दशविध लक्ष्मी प्राप्ति अर्थं प्राप्त लक्ष्मी चिरकाल संरक्षण अर्थम् श्री महालक्ष्मी प्रीति अर्थम् श्रीं बीजयुक्त अष्टोत्तरशत नाम जपं अहम् करिष्ये | 

विनियोग : 
ॐ अस्य श्री महालक्ष्मी मंत्रस्य भृगुऋषिः गायत्री छन्दः श्री महालक्ष्मीदेवता शं बीजं रं शक्तिः ई कीलकं श्री महालक्ष्मी प्रीत्यर्थं अष्टोत्तरशत नाम जपे विनियोगः | 

ऋष्यादिन्यास :
श्रीभृगुऋषये नमः शिरसि | गायत्री छन्दसे नमः मुखे | श्री महालक्ष्मी देवतायै नमः हृदये | 
शं बीजाय नमः गुह्ये | रं शक्तये नमः पादयोः | ई कीलकाय नमः नाभौ | 
श्रीमहालक्ष्मी प्रीत्यर्थे अष्टोत्तरशतनाम जपे विनयोगाय नमः सर्वाङ्गे | 

करन्यास :
श्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः | श्रीं तर्जनीभ्यां स्वाहा  | श्रूं मध्यमाभ्यां वषट् | श्रैं अनामिकाभ्यां हुम् | 
श्रौं कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् | श्रः करतलकर पुष्ठाभ्यां फट् | 

हृदयादि न्यास : 
श्रां हृदयाय नमः |  श्रीं शिरसे स्वाहा |  श्रूं शिखायै वषट् | श्रैं कवचाय हुम् | 
श्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् | श्रः अस्त्राय फट् | 



नामावली - जप

ॐ श्रीं महा मायायै नमः | 
ॐ श्रीं महा लक्ष्म्यै नमः | 
ॐ श्रीं मह वाण्यै नमः | 
ॐ श्रीं महेश्वर्यै नमः | 
ॐ श्रीं महादेव्यै नमः | 
ॐ श्रीं महारात्र्यै नमः | 
ॐ श्रीं महिषासुर मर्दिन्यै नमः | 
ॐ श्रीं कालरात्र्यै नमः | 
ॐ श्रीं  कुह्वै   नमः | 
ॐ श्रीं पूर्णायै नमः || १० ||

ॐ श्रीं आनन्दायै नमः | 
ॐ श्रीं आद्यायै नमः | 
ॐ श्रीं भद्रिकायै नमः | 
ॐ श्रीं निशायै नमः | 
ॐ श्रीं जयायै नमः | 
ॐ श्रीं रिक्तायै नमः | 
ॐ श्रीं महा शक्त्यै नमः | 
ॐ श्रीं देव मात्रे नमः | 
ॐ श्रीं कृशोदयै नमः | 
ॐ श्रीं शच्यै नमः || २० ||

ॐ श्रीं इन्द्राण्यै नमः | 
ॐ श्रीं शक्र नुतायै नमः | 
ॐ श्रीं  शङ्कर प्रिय वल्लभायै नमः |        
ॐ श्रीं महा वराह  जनन्यै नमः | 
ॐ श्रीं मदनोन्मथिन्यै नमः | 
ॐ श्रीं मत्यै नमः | 
ॐ श्रीं वैकुण्ठ  नाथ  रमण्यै नमः |  
ॐ श्रीं विष्णु वक्षः स्थल स्थितायै नमः |  
ॐ श्रीं विश्वेश्वर्यै नमः | 
ॐ श्रीं विश्व मात्रे नमः || ३० ||

ॐ श्रीं वरदायै नमः |  
ॐ श्रीं अभयदायै नमः | 
ॐ श्रीं शिवायै नमः | 
ॐ श्रीं शूलिन्यै नमः | 
ॐ श्रीं चक्रिण्यै नमः | 
ॐ श्रीं मायै नमः | 
ॐ श्रीं पाशिन्यै नमः |  
ॐ श्रीं शङ्ख धारिण्यै नमः |  
ॐ श्रीं गदिन्यै नमः | 
ॐ श्रीं मुण्डमालायै नमः || ४० ||


ॐ श्रीं कमलायै नमः |  
ॐ श्रीं करुणालयायै नमः | 
ॐ श्रीं पद्माक्ष - धारिण्यै नमः |  
ॐ श्रीं अम्बायै नमः | 
ॐ श्रीं महा विष्णु प्रियंकर्यै नमः | 
ॐ श्रीं गो लोकनाथ रमण्यै नमः | 
ॐ श्रीं गो लोकेश्वर पूजितायै नमः | 
ॐ श्रीं गयायै नमः | 
ॐ श्रीं गङ्गायै नमः | 
ॐ श्रीं यमुनायै नमः || ५० ||

ॐ श्रीं गोमत्यै नमः | 
ॐ श्रीं गरुड़ासनायै नमः | 
ॐ श्रीं गण्डक्यै नमः |  
ॐ श्रीं सरय्वै नमः | 
ॐ श्रीं ताप्यै नमः | 
ॐ श्रीं रेवायै नमः | 
ॐ श्रीं पयस्विन्यै नमः |  
ॐ श्रीं नर्मदायै नमः | 
ॐ श्रीं कावेर्यै नमः |  
ॐ श्रीं केदार स्थल वासिन्यै नमः || ६० ||

ॐ श्रीं किशौर्यै नमः | 
ॐ श्रीं केशव नुतायै नमः |  
ॐ श्रीं महेन्द्र  परिवन्दितायै नमः |  
ॐ श्रीं ब्रह्मादि देवनिर्माण कारिण्यै नमः |  
ॐ श्रीं देवपूजितायै नमः | 
ॐ श्रीं कोटि ब्रह्माण्ड कारिण्यै नमः |  
ॐ श्रीं श्रुति रुपायै नमः | 
ॐ श्रीं श्रुति कर्य्यै नमः | 
ॐ श्रीं श्रुति परायणायै नमः |   
ॐ श्रीं स्मृति परायणायै नमः || ७० ||

ॐ श्रीं इन्द्रिरायै नमः | 
ॐ श्रीं सिन्धु तनयायै नमः | 
ॐ श्रीं  मातङ्ग्यै नमः | 
ॐ श्रीं लोक मातृकायै नमः |  
ॐ श्रीं त्रिलोक जनन्यै नमः | 
ॐ श्रीं तन्त्रायै नमः | 
ॐ श्रीं तन्त्र मन्त्र स्वरुपिण्यै नमः |  
ॐ श्रीं तरुण्यै नमः | 
ॐ श्रीं तमो हन्त्रयै  नमः |  
ॐ श्रीं मंङ्गलायै नमः || ८० ||

ॐ श्रीं मङ्गलायनायै नमः | 
ॐ श्रीं मधुकैटभ मथिन्यै नमः |  
ॐ श्री शुम्भासुर  विनाशिन्यै नमः |  
ॐ श्रीं निशुम्भादि  हरायै नमः | 
ॐ श्रीं मात्रे नमः | 
ॐ श्रीं हरि  पूजितायै नमः |  
ॐ श्रीं शङ्कर पूजितायै नमः | 
ॐ श्रीं सर्व देव  मय्यै नमः | 
ॐ श्रीं सर्वायै नमः | 
ॐ श्रीं शरणागत पालिन्यै नमः || ९० ||

ॐ श्रीं शरण्यायै नमः |  
ॐ श्रीं शम्भु वनितायै नमः |  
ॐ श्रीं सिन्धुतीर निवासिन्यै नमः |  
ॐ श्रीं गन्धर्वगान  रसिकायै नमः | 
ॐ श्रीं गीतायै नमः | 
ॐ श्रीं गोविन्द वल्लभायै नमः |  
ॐ श्रीं त्रैलोक्य पालिन्यै नमः | 
ॐ श्रीं तत्व रुप तारुण्यपूरितायै नमः |  
ॐ श्रीं चन्द्रावल्यै नमः | 
ॐ श्रीं चन्द्र मुख्यै नमः || १०० ||

ॐ श्रीं चन्द्रिकायै नमः | 
ॐ श्रीं चन्द्र पूजितायै नमः |  
ॐ श्रीं चन्द्रायै नमः | 
ॐ श्रीं शशाङ्क - भगिन्यै नमः |  
ॐ श्री गीत वाद्य परायणायै नमः | 
ॐ श्रीं सृष्टि रुपायै नमः | 
ॐ श्रीं सृष्टि कर्यै नमः | 
ॐ श्रीं सृष्टि संहार कारिण्यै नमः || १०८ ||

     
|| अस्तु || 

   

karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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