इस स्तोत्र के सिर्फ एक हजार पाठ करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है
|| श्री लक्ष्मी नृसिंह द्वादश नाम स्तोत्रम् ||
प्रणम्य शिरसा देवं नृसिंहं भक्तवत्सलम् |
सच्चिदानंदरुपोयं परिपूर्ण जगद्गुरुम् ||
|| विनियोगः ||
अस्य श्री लक्ष्मीनृसिंह द्वादशनाम स्तोत्रमन्त्रस्य |
पुरन्दर ऋषिः | श्रीलक्ष्मीनृसिंहो देवता |
अनुष्टुप छन्दः | क्ष्रौं बीजं | ॐ श्री शक्तिः |
ॐ लक्ष्मीनृसिंहप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः |
|| न्यास ||
ॐ क्ष्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः |
ॐ क्ष्रीं तर्जनीभ्यां नमः |
ॐ क्ष्रूं मध्यमाभ्यां नमः |
ॐ क्ष्रैं अनामिकाभ्यां नमः |
ॐ क्ष्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः |
ॐ क्ष्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः |
ॐ क्ष्रां हृदयाय नमः |
ॐ क्ष्रीं शिरसे स्वाहा |
ॐ क्ष्रूं शिखायै वौषट |
ॐ क्ष्रैं कवचाय हुम् |
ॐ क्ष्रौं नेत्रत्रयाय वौषट |
ॐ क्ष्रः अस्त्राय फट |
|| ध्यानं ||
|| न्यास ||
ॐ क्ष्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः |
ॐ क्ष्रीं तर्जनीभ्यां नमः |
ॐ क्ष्रूं मध्यमाभ्यां नमः |
ॐ क्ष्रैं अनामिकाभ्यां नमः |
ॐ क्ष्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः |
ॐ क्ष्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः |
ॐ क्ष्रां हृदयाय नमः |
ॐ क्ष्रीं शिरसे स्वाहा |
ॐ क्ष्रूं शिखायै वौषट |
ॐ क्ष्रैं कवचाय हुम् |
ॐ क्ष्रौं नेत्रत्रयाय वौषट |
ॐ क्ष्रः अस्त्राय फट |
|| ध्यानं ||
लक्ष्मीशोभितवामभागममलं सिंहासने सुन्दरं
सव्ये चक्रधरं च निर्भयकरं वामेन चापं वरं |
सर्वाधीशकृतान्तपत्रममलं श्रीवत्सवक्षःस्थलं
वन्दे देवमुनीन्द्र वन्दितपदं लक्ष्मीनृसिंहं विभुम् ||
|| स्तोत्रं ||
प्रथमं तु महाज्वालो द्वितीयं उग्र केसरी |
वज्रनखस्तृतीयं तु चतुर्थन्तु विदारणः ||
सिंहास्यः पञ्चमं चैव षष्ठं कशिपुमर्दनः |
सप्तमं रिपुहन्ता च अष्टमं देववल्ल्भः ||
प्रह्लादराजो नवमं दशमं द्वादशात्मकः |
एकादशं महारुद्रो द्वादशं करुणानिधिः ||
एतानि द्वादश नामानि नृसिंहस्य महात्मनः |
मंत्रराजेति विख्यातं सर्वपापहरं शुभम् ||
ज्वरापस्मारकुष्टादितापज्वरनिवारणं |
राजद्वारे तथा मार्गे संग्रामेषु जलान्तरे ||
गिरिगव्यहरगोव्ये व्याघ्रचोरमहोरगे |
आवर्तनं सहस्त्रेषु लभते वाञ्छितं फलम् ||
|| श्रीब्रह्मपुराणे ब्रह्मनारदसम्वादे श्रीलक्ष्मीनृसिंह द्वादशनाम स्तोत्रं सम्पूर्णं ||
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