श्री महाकाली ध्यान
श्री महालक्ष्मी ध्यान
श्री महासरस्वती ध्यान
हिंदी अनुवाद सहित
श्री महाकाली ध्यान | श्री महालक्ष्मी ध्यान | श्री महासरस्वती ध्यान | |
श्री महाकाली ध्यान
ॐ खड्गं चक्रगदेषु चापपरिघाञ्छूलं भुशुण्डीं शिरः
शङ्खं संदधतीं करैस्त्रिनयनां सर्वाङ्गभूषावृताम् |
यामस्तौत्स्त्वपितै हरौ कमलजो हन्तुं मधुं कैटभम्
नीलाश्मद्युतिमास्यपाददशकां सेवे महाकालिकाम् ||
जिनकी 10 भुजाये है और क्रमशः उन भुजाओ में
खड्ग,चक्र,गदा,बाण,धनुष,परिघ,त्रिशूल,
भुशुण्डी,मुण्ड और शङ्ख धारण किया है |
ऐसी तीन नेत्रोंवाली त्रिनेत्रा सभी अङ्गो में
आभूषणों से विभूषित नीलमणि जैसी आभावाली
दशमुखोवाली और दश पैरोंवाली महाकाली
माँ का ध्यान करता हु | ( करती हु )
जिनकी स्तुति मधु कैटभ का वध करने के लिए
विष्णु के सो जाने पर साक्षात्
ब्रह्मदेव ( ब्रह्माजी ) ने की थी |
श्री महालक्ष्मी ध्यान
अक्षस्त्रकपरशूगदेषु कुलिशं पद्मं धनुः कुण्डिकां
दण्डं शक्तिमसिं च चर्मजलजं घण्टां सुराभाजनम् |
शूलं पाशसुदर्शने च दधतीं हस्तैः प्रवालप्रभां
सेवे सैरिभमर्दिनिमीह महालक्ष्मीं सरोजस्थिताम् ||
जिन्होंने अपनी 18 भुजाओ में क्रमशः
अक्षमाला,परशु,गदा,बाण,वज्र,कमल,धनुष
कमण्डलु,दण्ड,शक्ति,तलवार,ढाल,शङ्ख
घण्टा,पानपात्र,त्रिशुल,पाश,सुदर्शन
धारण करनेवाली प्रवाल जैसी शरीर की कान्तिवाली
कमलपर स्थित महिषासुर को मारनेवाली
महालक्ष्मी का में ध्यान करता हु ( करती हु )
श्री महासरस्वती ध्यान
ॐ घण्टाशूलहलानि शङ्ख मुसले चक्रं धनुः सायकम्
हस्ताब्जैर्दधतीं घनान्तविलसच्छीतांशुतुल्य प्रभाम् |
गौरीदेहसमुद्भवां त्रिजगतामाधारभूतां महा
पूर्वामत्र सरस्वतीमनु भजे शुम्भादिदैत्यार्दिनीम् ||
8 भुआजाओ से युक्त और क्रमशः घण्टा,शूल,हल,
शङ्ख,चक्र,धनुष,बाण धारण किये हुई,बादलो से निकलते हुए
चन्द्रमा के समान आभावाली गौरी के देह से उत्पन्न तीनो लोको की आधारभूता
शुम्भादि दैत्यों का मर्दन करनेवाली श्री महासरस्वती का में ध्यान करता हु ( करती हु )
|| अस्तु ||
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