सफेद आक के गणपति | श्वेतार्क गणपति साधना | Shwetark Ganpati sadhna |


श्वेतार्क गणपति ( मदार )
सफेद आक के गणपति
श्वेतार्क गणपति साधना

अपने घर में रखे यह गणपति जीवन में कभी कोई दुःख नहीं रहेगा
सफेद आक के गणपति | श्वेतार्क गणपति साधना | Shwetark Ganpati sadhna |
सफेद आक के गणपति 

तंत्रशास्त्र में श्वेतार्क गणपति की साधना अत्यंत महत्वदायी बताई हुई है |
यह गणपति की आम प्रतिमाओं से बहुत ही भिन्न होती है |
यह किसी धातु या पत्थर की नहीं किन्तु सफ़ेद आक की होती है |
जिन्हे श्वेतार्क गणपति या सफ़ेद आक या सफ़ेद आकड़े के गणपति के रूप में माना जाता है | इसकी अद्भुत बात यह है की सफ़ेद आक की आयु २४ से २७ साल की हो जाती है तो उसकी जड़े स्वतः ही गणेश का आकार लेती है | 
यह एक प्रकृति और भगवान् का ही क्रियमाण है | ऐसा माना जाता है की जहा श्वेतार्क होता है वहा धन घड़ा हुआ होता है |
श्वेतार्क गणपति में अष्ट सिद्धिया और नव निधिया निवास करती है |

इस गणेश जी की जड़ को या सफ़ेद आक को गणपति का स्वरुप देकर घर में स्थापित करने से जीवन में सर्व कुछ प्राप्त हो जाता है | जहा यह गणपति विराजमान होते है वहा उस घर में रिद्धि-सिद्धि का निवास हो जाता है | उस घर में प्रचंड लक्ष्मी का निवास हो जाता है | शत्रु उन्हें कभी परेशान नहीं कर पाते | किसी भी प्रकार की कोई दारिद्रता वहा नहीं आती |
कभी नजरदोष नहीं लगता |
किसी भी रविपुष्य या गुरुपुष्य नक्षत्र में इसकी जड़ो में से गणपति के आकार वाली जड़े लाये या स्वयं गणपति के आकर वाली जड़े ना हो तो श्वेतार्क का मूल लेकर उसमे से गणपति बनवाये |

श्वेतार्क गणपति को हाथी के ऊपर बिठाकर स्थापना करने से अधिक फल प्राप्त होगा |

श्वेतार्क गणपति के ऊपर सिंदूर कैसे चढ़ाये ?
तिल के तेल या सरसौ का तेल ले |
सही सिंदूर ले और अपने हाथो से लेपन कर उसे सूखने दे |
पश्चात आप चाहो तो उसके ऊपर आँखे भी चिपका सकते हो | ( नेत्र )

पश्चात उसमे प्राणप्रतिष्ठा करे | बिना प्राणप्रतिष्ठा मूर्ति चैतन्य नहीं होती |
जिस दिन गुरु-रविपुष्य हो उसके अगले दिन वहा जाकर उन्हें आमंत्रित करे | फिर दूसरे दिन पुष्यनक्षत्र के समय में श्वेतार्क को अपने घर ले आये |

अगर स्वयं गणपति प्राप्त हो जाए तो उसको आप सिंदूर लेपन भी कर सकते हो |
या फिर उसी दिन कोई अच्छे कारीगर से गणपति बनवाकर उन्हें सिंदूर से लेपित कर उनकी मानसोपचार-पञ्चोपचार-षोडशोपचार पूजन करे
या विद्वान ब्राह्मण से करवाए |

फिर उन गणपति के आगे गाय के घी का दीपक प्रज्वलित करे | धूप प्रज्वलित करे |
रक्तचंदन की माला से मंत्र जाप करे |
मंत्र जाप के समय गणपति के आगे गुड़ के लड्डू का भोगा अवश्य लगाए |

दुर्वांकुर अवश्य अर्पण करे |
दूर्वांकुर अर्पण करते समय यह श्लोक बोले
ॐ दूर्वाह्यमृत सम्पना शतमूला शतांकुरा |
शतं पातक संहन्त्री शतमायुष्य वर्द्धिनी ||

और ७ दिनों तक ॐ गं गणपतये नमः की १० माला करे | सात दिनों तक श्वेतार्क गणपति के आगे मूल मंत्र की १० माला करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा | फिर प्रतिदिन नित्य ३ या १० माला करे शीघ्र ही आपको कोई चमत्कार प्राप्त होगा |

आप चाहो तो इस गणपति मूल मंत्र का इस मूर्ति के आगे ८ लाख मंत्र जाप कर उसका दशांश हवं-तर्पण-मार्जन आदि करने से जीवन में सबकुछ प्राप्त हो जाएगा साक्षात् गणपति के दर्शन के द्वार भी खुल जाएंगे |

अपनी रक्षा हेतु श्वेतार्क की जड़ का एक छूटा टुकड़ा भी गले में धारण कर सकते हो |
ऐसा करने से कोई कभी भी आपके ऊपर कोई तांत्रिक क्रिया नहीं कर पायेगा |
कर्जमुक्ति हेतु इस मूर्ति के सामने गणेश ऋणहर्ता साधना करे |
स्वस्थ रहने के लिए
प्रतिदिन  ॐ गं गणपतये नमः इस मंत्र से २१ दूर्वांकुर चढ़ाये देह स्वस्थ रहेगा साथ ही मनोकामना भी पूर्ण होगी | 

|| अस्तु ||
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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