सूर्य ग्रहण | Surya Grahan |


सूर्य ग्रहण


सूर्य ग्रहण का समय 



25 oct मंगलवार 
खंडग्रास सूर्यग्रहण
ग्रहण स्पर्श काल : 14:28 
ग्रहण मध्य काल : 16:29 
ग्रहण मोक्ष काल : 18:32 




सरल भाषा में सूर्य ग्रहण में क्या करना चाहिए ?
सूर्य ग्रहण में क्या करना चाहिए ? 
सबसे सरल भाषा में समझाऊ तो धर्मसिन्धु-निर्णयसिन्धु कहता है |
"ग्रहणस्पर्शकालेस्नानंमध्येहोमःसुरार्चनंश्राद्धंचमुच्यमानेदानंमुक्तेस्नानमितिक्रमः"
स्पर्शकाले स्नान 
मध्यकाले होम-देवपूजा-श्राद्ध-मंत्रजाप 
मोक्षकाले दान यह सर्वोत्तम सोपान है ग्रहण का 
कैसे जल में स्नान करना चाहिए ? 
स्नान करने के लिए कैसा जल होना चाहिए ? 
गरम पानी से उत्तम ठंडा पानी
दुसरो से ग्रहण हुए जल से उत्तम अपने द्वारा लाया हुआ जल  उत्तम
बेहता हुआ पानी उत्तम 
 उससे उत्तम तालाब का पानी 
तालाब के पानी से उत्तम नदी का पानी 
नदी के पानी से उत्तम तीर्थ जल गङ्गा आदि 
उससे उत्तम समुद्र का पानी ( जल )


ग्रहण में वस्त्र सहित ही स्नान करे ऐसा स्नान मोक्ष स्नान कहा गया है |
ग्रहण में स्नान मंत्र रहित करना चाहिए 
ग्रहण के समय सभी जल गङ्गाजल  के समान होता है |
वैसे ही सभी ब्राह्मण वेदव्यास के समान होते है |
ग्रहण के मोक्षकाल में ब्राह्मण को दान करने से पृथ्वी दान का फल मिलता है 
सत्पात्र को दान करने से अनंतगुना फल मिलता है 
ग्रहण में श्राद्ध का भोजन कभी नहीं करना चाहिए | 


मंत्रदीक्षा लेनी चाहिए या नहीं ? 
मंत्रदीक्षा के लिए सूर्यग्रहण सर्वोत्तम है 
सूर्यग्रहण में मंत्र दीक्षा लेने के लिए 
तिथि-माह-नक्षत्र कुछ भी देखने की आवश्यकता नहीं है | 
ग्रहण के आरम्भ में दीक्षा ले सकते है | 
सूर्यग्रहण में उपवास करके स्पर्शकाल से मोक्षकाल तक एकाग्र मन से मंत्रजाप करे | 
उसके बाद उसी मंत्र का दशांस यज्ञ या दशांश जाप करे | 

अगर कोई मनुष्य नया मंत्र ग्रहण ना करे तो भी अपने गुरु से मिले मंत्र का अवश्य जाप करना चाहिए अन्यथा उस मंत्र में मलिनता आती है और साथ ही अपने इष्टदेवता के मंत्र और गायत्री मंत्र का भी जाप करना चाहिए | 


मन्त्रग्रहण का स्थल या किस स्थल पर मंत्रदीक्षा लेनी चाहिए ?
महानदी के तट पर-शिवालय-वन-पर्वत या किसी भी पवित्र स्थल में मंत्रदीक्षा लेनी चाहिए 

ग्रहण में भोजन नहीं करना चाहिए | 

ग्रहण में किस मंत्र की उपासना करनी चाहिए ? 
सूर्यग्रहण में सूर्य के मंत्रजाप कर सकते है | 
गणेशोपनिषत के अनुसार 
सूर्यगृहेमहानद्यांप्रतिमासन्निधौ वा जप्त्वा 
अर्थात सूर्य ग्रहण में गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करे या गणपति मूल मंत्र का जाप कर सकते है | 
जो शत्रु से पीड़ित हो वो बगलामुखी माला मंत्र या प्रत्यङ्गिरा कवच का पाठ करे | 
आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करे | 
जिनका आरोग्य अच्छा ना रहता हो वो मृत्युञ्जय मंत्र या मार्कण्डेय कृत महामृत्युञ्जय स्तोत्र का पाठ करे | 
अगर आप देवी उपासक हो तो नवार्णमन्त्र या दुर्गा बत्तीस नामो का पाठ करे या सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ करे | 
विष्णु उपासक विष्णु द्वादशाक्षर मंत्र या विष्णुसहस्त्र का पाठ करे | 
नवग्रहों से पीड़ा मुक्ति पाने के लिए नवग्रहकवच का पाठ करे | 
आर्थिक उन्नति व्यापार वृद्धि के लिए या अपार धनप्राप्ति के लिए 
लक्ष्मी एकाक्षरी बीज - श्रीसूक्त-साम्पुटिकश्रीसूक्त-कनकधारा स्तोत्र का पाठ रामबाण उपाय है | 
सभी प्रकार से अपनी रक्षा के लिए रामरक्षास्तोत्र का पाठ करे | 
या अपने गुरु के द्वारा प्राप्त किये हुए मंत्र का श्रद्धा से मंत्र जाप करे | 

ग्रहण में छोटे बच्चे और अस्वस्थ और वृद्धो के लिए नियमो का पालन करने की कोई आवश्यकता नहीं है | 

|| अस्तु || 

karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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