भीष्मपञ्चक व्रत विधान
Bhishma Panchak Vrat |
भीष्मपञ्चक व्रत विधान |
मंत्र दीक्षा ग्रहण करने का उत्तम समय | संतान प्राप्ति व्रत |
मंत्र दीक्षा ग्रहण विधान
भीष्मपञ्चक व्रत क्यों कहा जाता है ?
कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी से यह व्रत करना चाहिए | पूर्णिमा तक |
सर्वप्रथम प्रातः स्नान करके पंचदिन व्रत का संकल्प करे |
बाणशय्या पर सोये हुए महात्मा भीष्मने राजधर्म, मोक्षधर्म, और दानधर्म का वर्णन किया | जिसे पांडवो के साथ श्रीकृष्ण ने भी सुना |
उससे प्रसन्न होकर वासुदेव ने कहा भीष्म तुम धन्य हो | धन्य हो | तुमने धर्मो का स्वरुप अच्छी तरह सुनाया | कार्तिक की एकादशीको तुमने जल के लिए याचना की और अर्जुन ने बाण वेगसे गङ्गाजल प्रस्तुत किया जिससे तुम्हारे मन, तन, प्राण संतुष्ट हुए | इसलिए आजसे लेकर पूर्णिमा तक तुम्हे सब लोग अर्घ्यदानसे तृप्त करेंगे | संतुष्ट रहकर इसका भीष्मपञ्चक नामक व्रत होगा | जो प्रतिवर्ष किया जाएगा |
इन पांचदिनो तक भीष्म का तर्पण करना चाहिए |
इसका मंत्र इस प्रकार है
सत्यव्रताय शुचये गांगेयाय महात्मने |
भीष्मावै(यै)तद ददाम्यर्घ्यमाजन्मब्रह्मचारिणे ||
आजन्म ब्रह्मचर्य का पालनकरनेवाले परमपवित्र
सत्यव्रतपरायण गङ्गानन्दन महात्मा भीष्मको में यह अर्घ्य देता हु |
जो मनुष्य पुत्र या संतान की कामना से स्त्री सहित
भीष्मपञ्चक व्रत का पालनकर्ता है उसे शीघ्र ही पुत्र-संतान प्राप्ति होती है |
उसके द्वारा सब शुभकृत्योंका पालन हो जाता है |
यह महापुण्यदायक व्रत है |
अतः मनुष्यो को इसका पालन अनुष्ठान करना चाहिए |
इसमें खासकर भीष्मजी के लिए जल-दान-अर्घ्य का दान
विशेषरूप से किया जाना चाहिए |
जो इस मंत्र से अर्घ्यदान करता है वो मोक्ष को प्राप्त करता है
अर्घ्यमंत्र
वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृतप्रवराय च |
अपुत्राय ददाम्येतदुदकं भीष्मवर्मणे ||
वसूनामवताराय शन्तनोरात्मजाय च |
अर्घ्यं ददामि भीष्माय आजन्मब्रह्मचारिणे ||
जिनका व्याघ्रपद गोत्र है,सांकृत प्रवर है, उन पुत्र रहित भीष्मवर्मा को में यह जल देता हु | वसुओं के अवतार शन्तनु के पुत्र, आजन्म ब्रह्मचारी भीष्म को में अर्घ्य देता हु |
पांच दिनों तक भीष्म को अर्घ्य देने के बाद
भगवान् विष्णु की पूजा करे या मंत्र जाप या विष्णु सहस्त्र का पाठ करे |
पूर्णिमा के दिन इस व्रत का उद्यापन करने के लिए ब्राह्मणो को भोजन करावे और भगवान् विष्णु की षोडशोपचार पूजा करवाए |
ब्राह्मणो यथा शक्ति भोजन कराकर उचित दक्षिणा देकर संतुष्ट करे |
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