ह्रीं बीज मंत्र | ह्रींम या ह्रींग |
ह्रीं बीज मंत्र साधना |
मन्त्रोद्धार :
नकुलीशोऽग्निमारुढो वामनेत्रार्द्ध चन्द्रवान |
नकुलीशो - ह
अग्नि - र
वामनेत्र - ई
अर्द्धचन्द्र -
इन वर्णचतुष्टय से बनता है ह्रीं एकाक्षरी बीज मंत्र
ई कार से वायु
र कार से अग्नि
भूः भुवः स्वः त्रैलोक्य जननी होने से भुवनेश्वरी बीज कहा जाता है |
ह्रीं को मायाबीज भी कहा जाता है |
इसका प्रमाण मार्कण्डेय पुराण अंतर्गत दुर्गासप्तशती के पूर्व एकादश न्यास में मायबीजं सदृशं में प्रमाण है
यह मंत्र अद्भुत एवं चमत्कारिक है जो साधक की सभी कामना पूर्ण करता है |
आर्थिक उन्नति देता है | साधक के देह को स्वस्थ रखता है |
विनियोगः
अस्य श्री भुवनेश्वरी मंत्रस्य शक्तिऋषिर्गायत्रीछन्दो हकारो बीजं शक्तिरेफः कीलकं श्रीभुवनेश्वरी देवता चतुर्वर्गसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः |
ऋष्यादिन्यासः
शक्तिऋषये नमः शिरसि | गायत्रीछन्दसे नमः मुखे | भुवनेश्वर्यै देवतायै नमः हृदि | हं बीजाय नमः गुह्ये | ईं शक्तये नमः पादयोः | रं कीलकाय नमः नाभौ | विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे |
करन्यासः
ॐ ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः | ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः | ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः | ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः | ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः | ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः |
हृदयादिन्यासः
ॐ ह्रां हृदयाय नमः | ॐ ह्रीं शिरसे नमः | ॐ ह्रूं शिखायै वषट | ॐ ह्रैं कवचाय हुम् |
ॐ ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट | ॐ ह्रः अस्त्राय फट ||
ध्यानं
उद्यद्दिनद्युति मिन्दुकिरीटां तुरंकुथां नयनत्रययुक्ताम |
स्मेरमुखीं वरदाकुंश पाषाभीतिकरां प्रभजे भुवनेश्वीम ||
इस मंत्र का पुरश्चरण ३२ लाख मंत्र का है |
|| अस्तु ||
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