गणपति लक्ष्मी स्तोत्र
गणेश लक्ष्मी स्तोत्र |
दिवाली की रात इस स्तोत्र का १०१ पाठ करने से स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है |
जो कभी मनुष्य के देह और गेह को नहीं छोड़ती |
ॐ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने |
दुष्टारिष्ट विनाशाय पराय परमात्मने ||
सभी प्रकार के सौख्य प्रदान करनेवाले विघ्नराज को नमस्कार है, जो दुष्ट-अरिष्ट ग्रहो का विनाश करनेवाले है परात्पर परमात्मा है, उन गणपति को नमस्कार है |
लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोप शोभितं |
अर्द्धचन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूह विनाशनं ||
जो महापराक्रमी, लम्बोदर, सर्प से युक्त यज्ञोपवीत से सुशोभित है, अर्द्धचन्द्र जिहोने धारण किया है और जो विघ्नसमूहो का विनाश करते है, उन गणपति की में वंदना करता हु |
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्बाय नमो नमः |
सर्वसिद्धिप्रदोसि त्वं सिद्धिबुद्धिप्रदो भव ||
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्ब को नमस्कार है, आप हमें सभी सिद्धिया प्रदान करनेवाले हो आप हमे सिद्धि बुद्धि प्रदान करनेवाले हो |
चिन्तितार्थप्रदस्त्वं हि सततं मोदकप्रियः |
सिन्दूरारुणवस्त्रैश्च पूजितो वरदायकः ||
आपको सदैव मोदक प्रिय है, आप मन के द्वारा चिंतित अर्थ को देने वाले हो, सिंदूर और लाल वस्त्र से पूजित होकर सदा वर प्रदान करते है |
इदं गणपतिस्तोत्रं यः पठेद भक्तिमान नरः |
तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मुञ्चति ||
जो मनुष्य भक्तिभाव से युक्त होकर इस गणपति स्तोत्र का पाठ करता है स्वयं लक्ष्मीजी उनके देह - गेह को नहीं छोड़ती |
|| अस्तु ||
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