गणेश षडाक्षर मंत्र | ॐ वक्रतुण्डाय हुम् | Ganesha Shadakshar Mantra |


गणेश षडाक्षर मंत्र - ॐ वक्रतुण्डाय हुम्

गणेश षडाक्षर मंत्र | ॐ वक्रतुण्डाय हुम् | Ganesha Shadakshar Mantra |
गणेश षडाक्षर मंत्र

भगवान गणेश का उत्तम मंत्र जो षडाक्षर है | जिन के ऋषि भार्गव है | इस मंत्र की साधना अवश्य करनी चाहिए | 
इस मंत्र के विधान में विनियोग और न्यास का प्रावधान है |

षडक्षर मंत्र
गणेशस्य मनुन्वक्षे सर्वाभीष्टप्रदायकान |
जलं(व) चक्री(क) वह्नि(र) युतःकर्णेद्वाढ़या च कामिका(तुं) ||
दारको(ड) दीर्घसंयुक्तो(आ) वायुः(य) कवच(हुं) पश्चिमः |
षड़क्षरोमंत्रराजो भजतामिष्टसिद्धिदः ||
साधको को समस्त अभीष्ट देने वाले गणेशजी का यह उत्तम मंत्र है |
जल(व्) वह्नि के साथ चक्री(क्र) कर्णेन्दु के साथ कामिका(तुं)
दीर्घसंयुक्त दारक(डा) वायु(य) तथा अंतिम चरण में कवच(हुम्)
इस तरह से यह मंत्रराज साधको को अभीष्ट देता है |

मन्त्रोद्धारण
वक्रतुण्डाय हुम्

पुरश्चरण विधान
इस मंत्र का पुरश्चरण ६ लाख मंत्र का है | इस का दशांश हवं करना चाहिए | उसका दशांश तर्पण करना चाहिए | उसका दशांश मार्जन करना चाहिए | और दशांश ब्रह्मभोजन करवाना चाहिए |
इसके दशांस यज्ञ के लिए जो हवनीय द्रव्य का लेना चाहिए वो है |
सफ़ेद तिल-जौ-ईख-सत्तू-केला-चिउड़ा-मोदक-नारिकेल-गन्ना-सतुआ- और गाय के घी का प्रयोग करना चाहिए |

विनियोगः
ॐ अस्य श्री गणेश मंत्रस्य भार्गव ऋषिरनुष्टुप छन्दः विघ्नेशो देवता वं बीजं यं शक्तिर्ममाँभिष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः |
इस मंत्र के भार्गव ऋषि है | अनुष्टुप छंद है | विघ्नेश देवता है |
वं बीज है | यं शक्ति है |

ऋष्यादि न्यासः
ॐ भार्गव ऋषये नमः शिरसे | बोलकर सिर को स्पर्श करे |
अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे | बोलकर मुख को स्पर्श करे |
विघ्नेश देवता नमः हृदि | बोलकर ह्रदय को स्पर्श करे |
वं बीजाय नमः गुह्ये | बोलकर गुप् भाग को स्पर्श करे |
यं शक्त्यै नमः नाभौ | बोलकर नाभि को स्पर्श करे |

करन्यासः
ॐ वं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः | ॐ क्रं तर्जनीभ्यां नमः | ॐ तुं नमः मध्यमाभ्यां नमः | ॐ डां नमः अनामिकाभ्यां नमः |
ॐ यं नमः कनिष्ठिकाभ्यां नमः | ॐ हुं नमः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः |

हृदयादिन्यासः
ॐ वं हृदयाय नमः | ॐ क्रं नमः शिरसे | ॐ तुं नमः शिखायै वौषट |
ॐ डां नमः कवचाय हुम् |
ॐ यं नमः नेत्रत्रयाय वौषट | ॐ हुम् नमः अस्त्राय फ़ट |

ॐ वं नमः भ्रूमध्ये | ॐ क्रं नमः कण्ठे | ॐ तुं नमः हृदये | ॐ डां नमः नाभौ |
ॐ यं नमः लिङ्गे | ॐ हुम् नमः  पादयोः | ॐ वक्रतुण्डाय हुम् नमः सर्वाङ्गे |

यह न्यास करके भगवान् गणेशजी का ध्यान धरे |

गणेश ध्यानः
ॐ उद्यद्दिनेश्वर रुचिं निजपद्महस्तैः
पाशांकुशाऽभयवरान दधतं गजास्यां |
रक्तांबरं सकलदुःखहरं गणेशं
ध्यायेत प्रसन्नमखिलाभरणाभीरामं ||

ध्यान करने के बाद षडाक्षर मंत्र का आरम्भ करे |

|| गणेश षडाक्षर मंत्र विधान ||
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

2 Comments

  1. मंत्र जाप में ॐ वक्रतुंडाय हुं या वक्रतुंडाय हुं का प्रयोग करना चाहिए

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  2. आनंद पाठक जी, आपका विवेचन काफी उपयुक्त है, उसके लिए धन्यवाद. अधिक जानकारी के लिए कुछ सवाल है उनका कृपया निरसन किजीए

    १. जाप और हवन आहूती मे "ॐ वक्रतुंडाय हुं" बोलना है या सिर्फ "वक्रतुंडाय हुं" ?
    २. सफ़ेद तिल-जौ-ईख-सत्तू-केला-चिउड़ा-मोदक-नारिकेल-गन्ना-सतुआ- और गाय के घी - यह सारी वस्तुए आहूती के लिए जरूरी है, या उपलब्धी अनुसार जो हो सके वह काफी है ?
    ३. ६ लाख का जाप, ६० हजार का हवन, ६ हजार का तर्पण और ६०० मार्जन इस सबके लिए एक आम आदमी को लगभग कितना वक्त लगेगा ?

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