महागौरी माँ कथा
महागौरी माँ कथा |
"महागौरीति चाष्टमं" के अनुसार माँ दुर्गा का आठवां स्वरुप महागौरी है | नवरात्री के आठवें दिन महागौरी माँ के पूजा का विधान है इनकी उपासना से मनुष्यो के पूर्व संचित पाप नष्ट हो जाते है |
पुराणों में महागौरी की महिमा का प्रचुर आख्यान किया गया है |
ये मनुष्य की बुद्धिमता को सत की और प्रेरित करती है, माँ महागौरी का ध्यान, पूजन, भक्तो के लिए सर्वविध है |
सदैव माँ महागौरी का ध्यान करना चाहिए, उनके आशीर्वाद से अलौकिक सिद्धिया प्राप्त होती है |
महागौरी माँ कथा - 1
माँ महागौरी ने पार्वती रूप में भगवान् शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी | एकबार शिवजी की किसी बात से माँ पार्वती का मन आहत हो गया और पार्वती माता तपस्या में लीन हो गयी | इस प्रकार से कई वर्षो तक तपस्या करने पर भी जब वो वापिस नहीं आती तो भगवान् शिव उनको खोजते हुए उनके पास पहोचते है, पहोचने के बाद उनको देखकर वो आश्चर्य चकित हो गए, पार्वती माँ का वर्ण ओजपूर्ण हो जाता है, उनकी छटा चांदनी के समान श्वेत, कुन्द के फूल के समान धवल हो जाती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को शिवजी गौरवर्ण का वरदान देते है,और वो ही महागौरी माँ है |
महागौरी कथा - 2
दूसरी कथा के अनुसार जब माँ पार्वती अतिकठोर तपस्या करती है, तो उस तपस्या के कारण उनका पूरा देह काला हो जाता है | देवी की तपस्या को देखकर भगवान् शिव उन्हें स्वीकार करते है, शिवजी उनके शरीर को गंगाजल से प्रक्षालन करते है, तब माँ पार्वती देवी विद्युत के समान तेजस्वी और अत्यंत गौरवर्ण वाली हो जाते है, तभी से उनका नाम महागौरी पड़ा |
महागौरी माँ का स्वरूप
महागौरी माँ का स्वरुप सम्पूर्ण रूप से गौर है, वो उरने गौर है की मानो शंख, चन्द्रमा, सामान उनको उपमा दी गई है, उनकी आयु आठवर्ष की मानी जाती है,"अष्टवर्षा भवेद्गौरी"उनके सर्व आभूषण और वस्त्र श्वेत है, महागौरी की चार भुजाये है, उनका वाहन वृषभ है |
|| महागौरी माँ कथा ||
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