ब्रह्मचारिणी माँ की कथा
ब्रह्मचारिणी कथा |
नवरात्र में "द्वितीयं" ब्रह्मचारिणी के अनुसार नवरात्री में दूसरे दिन माँ
ब्रह्मचारिणी की कथा और पूजा का विधान है |
ब्रह्मचारिणी माँ सर्व विद्याओ की ज्ञाता और दाता होने के कारण और
ब्रह्मज्ञानी ब्रह्माण्ड की रचयिता होने के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहते है,
माँ दुर्गा के इन स्वरुप में ब्रह्मशक्ति समाई हुई है |
माँ दुर्गा का यह स्वरुप अमोघसिद्धियाँ है,इनकी उपासना से तप,त्याग,वैराग्य,सदाचार,संयम,विनम्रता,और ब्रह्मज्ञान प्राप्त हो जाता है |
पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्माण्ड की रचना करते समय सृष्टि का विस्तार नहीं हो रहा था तब ब्रह्माजी के पुत्र मनु ने मनुष्यो की उत्पत्ति की,
किन्तु समय के साथ सृष्टि का विस्तार नहीं हो रहा था तब ब्रह्माजी को आश्चर्य हुआ की सृष्टि का विस्तार क्यों नहीं हो रहा ?
सभी देवता अचंबित हो गए |
तब ब्रह्माजी ने शिव से पूछा की ये क्या हो रहा है ?
तब शिवजी ने कहा बिना शक्ति के सृष्टि का विस्तार कैसे हो सकता है ?
सृष्टि के विस्तार के लिए माँ दुर्गा का आशीर्वाद बहुत जरुरी है,
उन्हें प्रसन्न करे,
उसी समय सभी देवता माँ जगदम्बा के शरण में गए,
तब देवी ने सृष्टि का विस्तार किया और
तभी से स्त्री शक्ति को माँ का स्थान प्राप्त हुआ,
तब से पुरे ब्रह्माण्ड का विस्तार हुआ।
और पश्चात् ब्रह्माण्ड का विस्तार होने लगा।
|| माँ ब्रह्मचारिणी कथा समाप्तः ||
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