अष्टधातु किसे कहते है ?
अष्टधातु नाम |
ॐ स्वर्ण रूप्यं ताम्रं च रङ्गशयद मेव च |
शीसं लोहं रसश्चेति धतावोष्टौ प्रकीर्तिताः ||
स्वर्ण-रजत-ताम्र-सीसा ( कतिर )-लोह-कासी-पीतल यह सप्तधातु के साथ आठवीं धातु को पारदरस कहा गया है |
कई अपवाद से अन्यरासो को भी धातु कहा जाता है |
इस प्रकार से अष्टधातु कहा गया है.
अष्टधातु के प्रयोग
अष्टधातु का प्रयोग भगवान् की मूर्ति बनाने में विशेषतः प्रयोग किया जाता है, यंत्रो के निर्माण में भी इनका प्रयोग किया जाता है, हाथो में पहन ने के कड़े बनाने में और अंगूठी बनाने में इन धातुओं का प्रयोग किया जाता है.
अष्टधातु के लाभ
अष्टधातु का हमारे मस्तिष्क और ह्रदय से सीधा सम्बन्ध है, अगर ये कहे की हमारे पुरे स्वास्थ्य के साथ अष्टधातु का सीधा सम्बन्ध है तो भी गलत नहीं होगा।
अगर आप अष्टधातु से बनी कोई भी चीज पहनते है तो नौ ग्रहो से होनेवाली पीड़ा शांत हो जाती है, किसी भी प्रकार का कोई बुरा प्रभाव आप पर नहीं पड़ता।
नजरदोष भी नहीं लगती।
|| अष्टधातु माहात्म्य ||
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