नवग्रहों को प्रसन्न करने के लिए करे इस लकड़ियों से हवन
नवग्रहों को प्रसन्न करने के लिए सदा शास्त्रों में बताई हुई समिधाओं से यज्ञ करे | सम्पूर्ण फल प्राप्त होगा | नवग्रह शांत हो जायेगे |
अगर ग्रहो के अनुसार समिधाओं से यज्ञ किया जाए |
नवग्रह समिधा के नाम
अर्कः पलाशः खदिरः स्त्वपामाँर्गोथ पिप्पलः |
उदुम्बरः शमी दूर्वा कुशाश्च समिधासत्विमाः ||
नवग्रह समिधा |
सूर्य के लिये अर्क अर्थात आक समिधा का प्रयोग करे | ( काष्ठ )
चंद्र के लिए पलाश की समिधा का प्रयोग करे | ( खाखरा की काष्ठ )
मंगल के लिए खदिर की समिधा का प्रयोग करे | ( खेर का काष्ठ )
बुध के लिए अपामार्ग की समिधा का प्रयोग करे | ( अपामार्ग की काष्ठ )
गुरु अर्थात बृहस्पति के लिए पिप्पल की समिधा का प्रयोग करे | ( पीपल के पेड़ की लकडिया )
शुक्र के लिए औदुम्बर की समिधा का प्रयोग करे | ( गूलर-औदुम्बर की लकडिया )
शनि के लिए शमी की समिधा का प्रयोग करे | ( खिजड़ा के काष्ठ का प्रयोग करे )
राहु के लिए दूर्वा का पप्रयोग करे |
केतु के लिए कुशा अर्थात दर्भा का प्रयोग करे |
इस तरह से किसी भी यज्ञ में या नवग्रह में क्रमशः समिधा का प्रयोग करे |
इस तरह से शास्त्रोक्त प्रकार से हर एक ग्रह के लिए समिधा का प्रयोग करने से अवश्य शुभफल की प्राप्ति होगी |
|| नवग्रह समिधा नाम समाप्तः ||
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