अनुष्ठान विधि के नियम
अनुष्ठान के विषय में कई सारे सवाल है जैसे की अनुष्ठान कैसे किया जाता है ?
कहा किया जाता है ?
अनुष्ठान क्यों किया जाता है | या करना चाहिये ?
यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है |
अनुष्ठान विधि नियम |
अनुष्ठान कौन करे तो कैसा फल मिलता है ?
- अगर स्वयं अनुष्ठान करे तो सर्वोत्तम है |
- गुरु के द्वारा मंत्र मिले तो उत्तमोत्तम कहा जाता है |
- अगर परोपकारी ब्राह्मण के द्वारा अगर मंत्र दीक्षा मिले तो वो उत्तम मंत्र है |
इस प्रकार से मंत्रो को प्राप्त करे |
अनुष्ठान कहा करे तो कैसा फल मिले ?
- अगर पुण्यक्षेत्र में किया जाए तोया पवित्र नदी के तट पर - पवित्रगुफा में -सिद्धपीठों में - संगमतीर्थो पर
बाग़ बगीचे में - तुलसी वन में - गौशाला या गौमाता के नजदीक - पहाड़ो पर - देवालय यानी मंदिरो में
शिवालय में या पीपल के पेड़ के नीचे- बिल्ववृक्ष - आंवले के वृस्ख के नीचे - औदुम्बर के वृक्ष नीचे - श्रीपर्णी के आगे
अगर अनुष्ठान किया जाए तो अतिउत्तम है |
या अपने घर में ही सभी नियमो का पालन कर कर सकते है |
अनुष्ठान कर्म के साक्षी देवता
सूर्य भगवान् -हमारे गुरु या इष्टदेवता - चंद्र - अग्नि - दीपक - जल - ब्राह्मण - गौ माता यह सभी देवता हमारे अनुष्ठान के साक्षी है जो हमारे द्वारा मंत्र-स्तोत्र या पाठ का अनुष्ठान करते है वो देवी-देवता तक पहुंचाते है और उसीका फल हमें प्राप्त होता है |
अनुष्ठान के समय क्या भक्षण करे ?
अनुष्ठान में केवल फलो का आहार करे तो श्रेष्ठ है | गाय का दूध - घी - सफ़ेद तिल से बनी चीजे ले सकते है |
आंवले का भी भक्षण कर सकते है | दही भी खा सकते है | नारियल या नारियल का पानी भी ले सकते है |
( चाय भी पी सकते हो )
अनुष्ठान के बारह नियम
1 - भूमि शयन करना |
2 - ब्रह्मचर्य का पालन करना |
3 - मौनव्रत धारण करना |
4 - गुरु की सेवा करना |
5 - त्रिकाल स्नान करना |
6 - पाप करने बचना |
7 - नित्य पूजा भी करना |
8 - नित्य दान करना अनुष्ठान के समय में |
9 - देवी-देवताओ की स्तुति करना |
10 - नैमित्तिक पूजा करना |
11 - इष्ट गुरु में विश्वाश करना |
12 - जाप में सम्पूर्ण निष्ठां रखना |
यह मन्त्र सिद्धि के बारह नियम है |
अनुष्ठान के पांच अंग
1 - मंत्र जाप
2 - हवन - जो मंत्र जाप करते है उनका दशांस हवन करना |
3 - तर्पण - दशांस तर्पण करना |
4 - अभिषेक - किसी विशेष द्रव्य से भगवान् के करना |
5 - यथा शक्ति ब्राह्मणो को भोजन करवाना |
किन्तु स्त्रीओ को केवल मंत्र जाप से ही सिद्धि प्राप्ति हो जाती है |
और सबसे महत्व पूर्ण नियम है जो आपने अनुष्ठान करते है वो सदैव गोपनीय रखना चाहिए |
शास्त्र कहते है "गोपनीयं गोपनीयं गोपनीयं प्रयत्नतः |
त्वयापि गोपितव्यं हि न देयं यस्य कस्यचित ||
सदैव साधना गोपनीय रखे |
अनुष्ठान में कभी भी क्रोध ना करे |
|| अनुष्ठान नियम समाप्तः ||
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