श्री राधाकृत विघ्ननाशन गणपति स्तोत्र
स्तोत्र
परं धाम परं ब्रह्म परेशं परमीश्वरं |
विघ्ननिघ्न्करं शान्तं पुष्टं कान्तंमनन्तकं ||
सुरासुरेन्द्रैः सिद्धेन्द्रैः स्तुतं स्तौमि परात्परं |
सुरपद्मदिनेशं च गणेशं मङ्गलायनम ||
इदं स्तोत्रं महापुण्यं विघ्नशोकहरं परं |
यः पठेत प्रातरूत्थाय सर्वविघ्नात प्रमुच्यते ||
विघ्ननाशन गणपति स्तोत्र |
स्तोत्रार्थ
जो परमधाम, परब्रह्म, परेश, परमीश्वर, विघ्नो के विनाशक, शांत, पुष्ट, मनोहर, और अनंत है |
प्रधान-प्रधान सुर, असुर और सिद्ध जिनका स्तवन करते है | जो देवरूपी कमल के लिये आश्रयस्थान है |
उन परात्पर गानेह जी की में स्तुति करता हु |
स्तोत्रमाहात्म्य
यह उत्तम स्तोत्र महान पुण्यमय विघ्न और शोक को हरने वाले है |
जो मनुष्य प्रातःकाल इस स्तोत्र का पाठ करता है, वह सम्पूर्ण विघ्नो से मुक्त हो जाता है |
|| श्री राधकृत विघ्ननाशन गणपति स्तोत्रं सम्पूर्णं ||
Tags:
Stotra