"श्रीं" बीज मंत्र साधना | महालक्ष्मी एकाक्षरी मंत्र | धन की हर समस्या को दूर करने वाला मंत्र | Shrim Bij Mantra |

"श्रीं" बीज मंत्र साधना 

हर एक मनुष्य धन की प्राप्ति के लिये या माँ लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्ति के लिये सभी तरह से प्रयत्न करते है फिर भी कभी कभी प्रारब्ध वश धन की प्राप्ति नहीं होती या कई लोगो को समस्या है की पैसे तो बहुत आते है लेकिन किसी ना किसी वजह से चले जाते है टिकते नहीं है तो आज में एक ऐसी साधना का शास्त्रोक्त विश्लेषण कर रहा हु | 
जिसके प्रयोग से में यकीन से कह रहा हु धन से सम्बंधित जो भी समस्याये उन सभी समस्याओ का समाधान हो जाएगा | 
इस प्रयोग की सबसे श्रेष्ठ बात यह है की इसका मंत्र बहुत ही सरल और सुगम है | इस मंत्र का कई लोगो ने मंत्र जाप अनुष्ठान किया हुआ है और उसके बाद उन लोगो के जीवन में काफी परिवर्तन आया हुआ है साथ माँ लक्ष्मी के कई अनुभव भी उन साधको को भिन्न भिन्न प्रकार से हुये है | 
जिसे लक्ष्मी एकाक्षरी मन्त्र कहते है वो मंत्र है - "श्रीं" 
इस मंत्र की साधना में भी विनियोग- न्यास आदि क्रियाये करनी है | 
धन की हर समस्या को दूर करने वाला मंत्र | Shrim Bij Mantra |
श्रीं बीज मंत्र 

इस मंत्र की साधना कैसे करे ? 
सबसे पहले अगर आपके पास लक्ष्मी का प्रिय श्री यन्त्र है तो उस यन्त्र की पंचोपचार-षोडशोपचार या मानसिक पूजा करे | 
पश्चात जिस उद्देश्य के लिये आप अनुष्ठान करना चाहते हो उसका संकल्प करे | 

अनुष्ठान के समय गाय के घी का दीपक प्रज्वलित करे | 

उसके बाद सर्वप्रथम विनियोग करे 
विनियोगः ॐ अस्य श्री कमला एकाक्षरी मंत्रस्य, भृगुऋषिः, निचृद गायत्री छन्दः, श्री लक्ष्मी देवता ममाभीष्ट सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः | ( अगर आप चाहो तो केवल विनियोग पढ़ सकते हो या अपने दाए हाथ में जल ग्रहण कर विनियोग पढ़े पश्चात उस जल को किसी पात्र में छोड़ दे ) 

विनियोग करने के बाद अंगन्यास करे | 
न्यास 
श्रां हृदयाय नमः | बोलकर अपने दाए हाथ से ह्रदय को स्पर्श करे | 
श्रीं शिरसे स्वाहा | अपने सिर को स्पर्श करे | 
श्रूं शिखायै वौषट | अपनी शिखा को स्पर्श करे | 
श्रैं कवचाय हुम् | दोनों हाथो को परस्पर कर बाहु को स्पर्श करे | 
श्रः अस्त्राय फट | अपने दाए हाथ को पुरे सर के ऊपर से तीन बार घुमाकर फिर चुटकी लेकर बाए हाथ में तीन बार ताली दे | 

पश्चात करन्यास करे 
श्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः | बोलकर दोनों हाथो की तर्जनी से अंगूठे को स्पर्श करे | 
श्रीं तर्जनीभ्यां नमः | अंगूठे से तर्जनी को स्पर्श करे | 
श्रूं मध्यमाभ्यां नमः | अंगूठे से मध्यमा को स्पर्श करे | 
श्रैं अनामिकाभ्यां नमः | अंगूठे से अनामिका ऊँगली को स्पर्श करे | 
श्रः कनिष्ठिकाभ्यां नमः | अंगूठे से कनिष्ठिका ऊँगली को स्पर्श करे | 


पश्चात माँ लक्ष्मी का दोनों आँखे बंधकर करके ध्यान धरना है | 
आप चाहो तो लक्ष्मी का कोई भी मंत्र या श्लोक ध्यान के लिये ले सकते हो किंन्तु में यहाँ सबकी सुविधा के लिये सरल ध्यान दे रहा हु | 
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः || इस मंत्र से माँ लक्ष्मी का ध्यान धरे | 
अब इसके बाद  लक्ष्मी एकाक्षरी मंत्र का आरम्भ करे | 

मंत्र - "श्रीं"
इस मंत्र का अनुष्ठान १२००००० मंत्र का है जिसको १२००० माला होती है | 
उसका दशांश यज्ञ करे या दशांश जाप करे | 
अगर आप ये ना कर सको तो धीरे धीरे इस  मंत्र के छोटे छोटे अनुष्ठान आरम्भ करे जैसे 
सर्वप्रथम अनुष्ठान १२००० मन्त्र का करे १२० माला का करे | उसका दशांस यज्ञ या दशांस जाप करे | 

इस मंत्र के दशांस यज्ञ की सामग्री 
गाय का घी-मधु(शहद)-शर्करायुक्त कमल(कमल में थोड़ी शर्करा भरकर आहुति दे)-सफ़ेदतिल-कालेतिल-बिल्ववृक्ष के फल और दल(अर्थात बिल्व वृक्ष के ऊपर के फल और बिलीपत्र) इन सभी सामग्री को मिलाकर दशांस यज्ञ करे | 

इस मन्त्र को कब सिद्ध करे या अनुष्ठान की शुरूआत करे ?
अक्षयतृतीया-धनत्रयोदशी-किसी भी माह की पूर्णिमा-या किसी भी शुक्रवार से इस साधना का आरम्भ करे | 

इस साधना का संक्षिप्त विस्तृति करण 
मंत्र - श्रीं 
संख्या- १२ लाख या १२हजार | 
दशांस हवन - संख्यानुसार ले | (अगर १२हजार का अनुष्ठान करते है रो १२० माला का दशांश यज्ञ करे)
तर्पण- यह भी संख्यानुसार ही करना है जैसे १२० माला का १२ माला का तर्पण करे | 
मार्जन - यह भी संख्यानुसार ही करे जैसे १२ माला का २ माला का मार्जन करे | 
ब्रह्मभोजन कम से कम ३ ब्राह्मण को भोजन करावे | 
एक छोटी कन्या का पूजन करे |(टिका लगाकर उसे शक्ति अनुसार भेट अर्पण करे )(वस्त्र आभूषण आदि या अपनी इच्छानुसार)

इस प्रकार से शास्त्रोक्त पद्धति से ही अनुष्ठान करने से फल प्राप्त होगा | 
यह अनुष्ठान करे और अपने भी अनुभव हमसे शेयर जरूर करे | 

|| अस्तु || 
|| जय श्रीं कृष्ण || 
Shreem Bij Mantra 
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

1 Comments

  1. Pranam acharya ji /\.

    Iss beej mantra ka jaap mann me karen ya muh se uchharan kar ke karen?

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