चाक्षुषोपनिषद
आँखों की समस्याओ को दूर करने का सर्वश्रेष्ठ यह उपाय है | यह चाक्षुषी विद्या के नाम से प्रसिद्ध है |
ये कृष्णयजुर्वेदीय विद्या है अर्थात इसका प्रमाण कृष्ण यजुर्वेद में दिया हुआ है | प्रतिदिन सूर्योदय होते समय इसका पाठ करना चाहिये |
सूर्य को अर्घ्य देने से पूर्व इसका पाठ करे |
इस पाठ को बोलते समय अनामिका ऊँगली से जल को अभी मन्त्रित करे कसर पश्चात उसी जल को आँखों में छींटे | प्रतिदिन तीन पाठ करे |
पाठ के लाभ
ऐसा करने वाले मनुष्य के कुल में कोई अंधा जन्म नहीं लेता और नाही कोई अंधा नहीं होता |
नित्य ऐसा करनेवाला मनुष्य कभी अँधा नहीं होता | उसकी नेत्रज्योति स्थिर रहती है | आँखों की कोई समस्या कभी नहीं होती |
साथ ही भगवान् सूर्यनारायण की कृपा से आत्मविश्वास में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
चाक्षुषोपनिषद |
|| श्री चाक्षुषोपनिषद विद्या ||
विनियोग - ॐ अस्याश्चाक्षुषीविद्याया अहिर्बुध्न्य ऋषिर्गायत्री छन्दः सूर्यो देवता
चक्षुरोग निवृत्तये विनियोगः |
ॐ चक्षुः चक्षुः चक्षुः तेजः स्थिरोभव | मां पाहि पाहि | त्वरितं चक्षुरोगान शमय शमय | मम जातरूपं तेजो दर्शय दर्शय | यथा अहम् अन्धो न स्यां तथा कल्पय कल्पय | कल्याणं कुरु कुरु | यानि मम पूर्वजन्मोंपार्जितानि चक्षुःप्रतिरोधकदुष्कृतानि सर्वाणि निर्मूलय निर्मूलय |
ॐ नमः चक्षुस्तेजोदात्रे दिव्याय भास्कराय | ॐ नमः करुणाकरायामृताय | ॐ नमः सूर्याय | ॐ नमो भगवते सूर्यायाक्षितेजसे नमः | खेचराय नमः | महते नमः | रजसे नमः | तमसे नमः | असतो माँ सद्गमय | तमसो माँ ज्योतिर्गमय | मृत्योर्मा अमृतं गमय | उष्णो भगवाञ्छुचिरूपः | हंसो भगवान् शुचिरप्रतिरूपः |
य इमां चाक्षुष्मतीविद्यां ब्राह्मणो नित्यमधीते न तस्याक्षिरोगो भवति | न तस्य कुले अन्धो भवति | अष्टौ ब्राह्मणान सम्यग ग्राहयित्वा विद्यासिद्धिर्भवति | ॐ नमो भगवते आदित्याय अहोवाहिनी अहोवाहिनी स्वाहा ||
|| श्रीकृष्णायजुर्वेदीया चाक्षुषी विद्या सम्पूर्णा ||
|| जय श्री कृष्ण | |
Shri Chakshushi Vidhya
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