श्री बगलामुखी माला मंत्र
जब किसी भी प्रकार का कोई उपाय काम ना आये तो अवश्य करे
ये कारगर उपाय सभी समस्याओ से छुटकारा मिल जाएगा |
किसी भी प्रकार की बाधा बंधन से मुक्ति के लिये माँ बगलामुखी के इस माला मंत्र का पाठ करना चाहिये |
सभी प्रकार के दोषो के निवारण के लिये यह एक रामबाण औषधी रूप उपाय है | किसी भी शुभ मुहूर्त में इस माला मंत्र का १०८ पाठ करने चाहिये |
बहुत ही अच्छा परिणाम प्राप्त होगा |
श्री बगलामुखी माला मंत्र |
|| श्री बगलामुखी माला मंत्र ||
ॐ नमो भगवती ॐ नमो वीर प्रताप विजय भगवती बगलामुखी
मम सर्व निन्दकानां सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय-स्तम्भय ब्राह्मीं मुद्रय-मुद्रय,
बुद्धिं विनाशय विनाशय, अपरबुद्धिं कुरु-कुरु,आत्मविरोधिनां
शत्रुणां शिरो-ललाट-मुख-नेत्र-कर्ण-नासिकोरु-पद-अणूरेषु-दन्तोष्ठ-जिह्वां-तालु-गुह्य-गुद-कटि-जानू-सर्वाङ्गेषु-
केशादिपादपर्यंतं-पादादिकेशपर्यन्तं स्तम्भय स्तम्भय,
खें खीं मारय मारय परमन्त्र परयन्त्र परतन्त्राणि छेदय छेदय,
आत्ममन्त्र-यंत्र-तन्त्राणि रक्ष रक्ष, ग्रहं निवारय निवारय, व्याधिं विनाशय विनाशय,
मम सर्व निन्दकानां सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय-स्तम्भय ब्राह्मीं मुद्रय-मुद्रय,
बुद्धिं विनाशय विनाशय, अपरबुद्धिं कुरु-कुरु,आत्मविरोधिनां
शत्रुणां शिरो-ललाट-मुख-नेत्र-कर्ण-नासिकोरु-पद-अणूरेषु-दन्तोष्ठ-जिह्वां-तालु-गुह्य-गुद-कटि-जानू-सर्वाङ्गेषु-
केशादिपादपर्यंतं-पादादिकेशपर्यन्तं स्तम्भय स्तम्भय,
खें खीं मारय मारय परमन्त्र परयन्त्र परतन्त्राणि छेदय छेदय,
आत्ममन्त्र-यंत्र-तन्त्राणि रक्ष रक्ष, ग्रहं निवारय निवारय, व्याधिं विनाशय विनाशय,
सर्वतन्त्रस्वरूपिणी, सर्वशिल्प प्रयोग स्वरूपिणी,
सर्व तत्व स्वरूपिणी, दुष्टग्रह-भूतग्रह-आकाशग्रह-पाषाणग्रह-सर्वचाण्डाल ग्रह-यक्ष किन्नर किम्पुरुष ग्रह,
भूत प्रेत पिशाचानं शाकिनी डाकिनी ग्रहाणां पूर्वदिशां बन्धय-बन्धय, किरातवार्ताली मां रक्ष-रक्ष,
पश्चिम दिशं बन्धय बन्धय स्वप्न वार्ताली मां रक्ष-रक्ष, उत्तर दिशां बन्धय-बन्धय कालि मां रक्ष-रक्ष
उर्ध्व दिशं बन्धय-बन्धय उग्रकालि मां रक्ष-रक्ष, पाताल दिशं बन्धय-बन्धय बगला परमेश्वरि मां रक्ष-रक्ष
सकल रोगान, विनाशय-विनाशय, सर्वशत्रु पलायनाय पंचयोजन मध्ये, राज-जन-स्त्री-वशतां कुरु कुरु,
शत्रुन दह-दह, पच-पच, स्तम्भय-स्तम्भय, मोहय-मोहय, आकर्षय-आकर्षय,
मम शत्रून उच्चाटय-उच्चाटय हुम् फट स्वाहा |
सर्व तत्व स्वरूपिणी, दुष्टग्रह-भूतग्रह-आकाशग्रह-पाषाणग्रह-सर्वचाण्डाल ग्रह-यक्ष किन्नर किम्पुरुष ग्रह,
भूत प्रेत पिशाचानं शाकिनी डाकिनी ग्रहाणां पूर्वदिशां बन्धय-बन्धय, किरातवार्ताली मां रक्ष-रक्ष,
पश्चिम दिशं बन्धय बन्धय स्वप्न वार्ताली मां रक्ष-रक्ष, उत्तर दिशां बन्धय-बन्धय कालि मां रक्ष-रक्ष
उर्ध्व दिशं बन्धय-बन्धय उग्रकालि मां रक्ष-रक्ष, पाताल दिशं बन्धय-बन्धय बगला परमेश्वरि मां रक्ष-रक्ष
सकल रोगान, विनाशय-विनाशय, सर्वशत्रु पलायनाय पंचयोजन मध्ये, राज-जन-स्त्री-वशतां कुरु कुरु,
शत्रुन दह-दह, पच-पच, स्तम्भय-स्तम्भय, मोहय-मोहय, आकर्षय-आकर्षय,
मम शत्रून उच्चाटय-उच्चाटय हुम् फट स्वाहा |
तो ये है माँ बगलामुखी माँ का माला मंत्र और एक बार अवश्य मनुष्य को साल में एकबार
इस स्तोत्र के १०८ पाठ अवश्य करने चाहिए ||
इस स्तोत्र के १०८ पाठ अवश्य करने चाहिए ||
|| अस्तु ||
|| जय श्री कृष्ण ||
Shree Baglamukhi Mala Mantra
श्री बगलामुखी माला मंत्र
Shree Baglamukhi Mala Mantra
श्री बगलामुखी माला मंत्र
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