नित्य पूजा के नियम
- सदा ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्य पूजा की शुरुआत करे |
- पूजा करते समय कभी गुस्सा ना करे, कभी भी पूजा में जोर से ना चिल्लाये |
- पूजा में घी का दीपक सदा भगवान् की दायी और प्रज्वलित करे किन्तु
अगर तेल का दीपक प्रज्वलित करे तो भगवान् की बायीं और करे |
- दीपक से दीपक कभी भी ना जलाये, दीपक से अगरबत्ती या धूपबत्ती ना जलाये,
ऐसा करने से घर में दरिद्रता आती है |
- चन्दन को घिसकर कभी ताम्रपात्र में ना रखे |
- नित्य पूजा में आसन का सदैव प्रयोग करे बिना आसन कभी पूजा नहीं करनी चाहिये |
- अगर मंदिर या घर में शंख है तो शंख को कभी खली ना रखे,
तीन बार थोड़ा थोड़ा पानी शंख में प्रतिदिन भरे और सायं काल उस जल को घर में छींटे |
- शंख को कभी भी सीधा जमीन या सीधा मंदिर में ना रखे किन्तु उसे चांदी के पात्र में रखे या
अनाज की ढेरी पर रखे |
अगर आप नित्य भगवान् को अभिषेक या स्नान कराते हो तो स्नान या अभिषेक करने के बाद
जल को भगवान् के चरणों में से थोड़ा लेकर ग्रहण करे |
मंदिर के ऊपर कभी भी कोई भारी चीज ना रखे,
मंदिर के ऊपर का भाग खली रखे |
सबसे महत्वपूर्ण बात कभी भी मंदिर या भगवान् के ऊपर धूल ना जमने दे अर्थात
मंदिर और भगवान् को स्वच्छ रखे |
नित्य पूजा पूर्ण होने के बाद कर्पूर की आरती करे,
यह करने से घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है |
|| अस्तु ||
|| जय श्री कृष्ण ||
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Karmkand