वास्तुशास्त्र के अनुसार घर का मुख्यद्वार किस दिशा में होना चाहिये ?
यदि आपके घर का मुख्यद्वार वास्तुशास्त्र के अनुसार नहीं है तो घर में कई सारी समस्या आती रहती है |
घर के सदस्यों की परेशानिया कभी ख़त्म नहीं होती मानो एक परेशानी का अंत हुआ नहीं और दूसरी समस्या दरवाजे पर ही खड़ी है |
तो आज जानिये वो दोष कैसे दूर कर सकते है ?
घर का मुख्यद्वार |
- उत्तरदिशा का मुख्यद्वार सदा उत्तम माना गया है
यह लक्ष्मी जी का द्योतक माना गया है,लक्ष्मी प्रदायक माना गया है |
- मगर फिर भी कोई दोष हो तो लक्ष्मी-नारायण की पूजा करे |
उपाय - पिले रंग के कपडे में तीन गोमतीचक्रो को सदा मुख्यद्वार के बीच बाँध ले | पीले रंग के फूल मुख्यद्वार पर चढ़ाये |
- दक्षिणदिशा का मुख्यद्वार बहुत ही अशुभ माना गया है |
यह स्मशान की दिशा भी है,जहा से सदा नकारात्मक ऊर्जा आती है,तो अगर इस दिशा में मुख्यद्वार होगा तो घर और घर के लोगो पर नकारात्मकता बहुत ही प्रभाव होगा |
इसी कारणवश मानसिक अशांति भी रहती है | शारीरिक पीड़ा का भी घर के सदस्यों को सामना करना पड़ता है |
उपाय - इस दोष को समाप्त करने के लिये मुख्यद्वार के ऊपर एक काले कपडे में सात कौड़िया बांधे |
या काले घोड़े की नाल सिद्धकर लगाए |
गणेश जी की प्रतिमा द्वार के अंदर और बहार की और लगाए |
- पूर्वदिशा में मुख्यद्वार होने से मनुष्य ऋणी हो जाता है |
उपाय - इस दोष को दूर करने के लिये अपने मुख्यद्वार के मध्य में पंचमुखी रुद्राक्ष की माला द्वार के मध्य में टांगदे |
घोड़े की नाल भी लगा सकते है |
- पश्चिम दिशा का द्वार दोष उत्पन्न करता है |
उपाय - इस द्वार का दोष दूर करने के लिये द्वार के आगे ताम्बे के तीन सिक्के काले धागे में पिरोकर बाँध ले और प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य दे | सूर्य पूजा करे |
इस प्रकार अपने घर का मुख्यद्वार होना चाहिये | |
|| अस्तु ||
|| जय श्री कृष्ण ||
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