द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित | Dwadash jyotirlinga stotra |


द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र 

द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित | Dwadash jyotirlinga stotra |
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र 

ॐ सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्री शैले मल्लिकार्जुनं | 
उज्जयिन्यां महाकालं ओमकारं ममलेश्वरं ||
सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्री शैलम में मल्लिकार्जुन 
उज्जैन में महाकाल, ओंकारेश्वर में ममलेश्वर(अमलेश्वर),

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करं | 
सेतुबंधे तू रामेशं नागेशं दारुकावने || 
परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक क्षेत्र में भीमशंकर,
सेतुबंध पर रामेश्वर, दारूकावन में श्री नागेश्वर,

वाराणस्यां तू विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमी तटे | 
हिमालये तू केदारं धृष्णेतँ(शं) तू शिवालये || 
वाराणसी में काशी विश्वनाथ, गोदावरी तट पर(गौतमी) त्र्यंबकेश्वर,
हिमालय में केदारनाथ, शिवालय में धृष्णेश्वर का स्मरण करे,

एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः | 
सप्तजन्म कृतं पापं स्मरणेन विनश्यति || 
जो मनुष्य इस स्तोत्र का सायंकाल-प्रातःकाल-स्मरण करता है 
उसके सात जन्मो के पापो का विनाश हो जाता है | 

साथ ही जो भक्त बारह ज्योतिर्लिंगों की यात्रा करने में असमर्थ हो फिर भी इस स्तोत्र के पठन मात्र से वो द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन का फल प्राप्त करता है | 

|| द्वादश ज्योतिर्लिंग समाप्तः || 
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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