श्री गणेश न्यास
श्री गणेश न्यास |
दक्षिण हस्ते - वक्रतुण्डाय नमः | (मन्त्र बोलकर दाए हाथ को स्पर्श करे)
वाम हस्ते - शूर्पकर्णे नमः | (बाए हाथ को स्पर्श करे)
ओष्ठे-विघ्नेशाय नमः | (होठो को स्पर्श करे)
अधरोष्ठे-चिंतामणये नमः | (ऊपर के होठ को स्पर्श करे)
संपुटे - गजाननाय नमः | (दोनों हथेली को बांचकर सम्पुट बनाये)
दक्षिणपादे - लम्बोदराय नमः | (अपने दाए पेअर को स्पर्श करे)
वामपादे - एकदंताय नमः | (बाए पेअर को स्पर्श करे)
शिरसि - एकदंताय नमः | (अपने सिर को स्पर्श करे)
चिबुके - ब्रह्मणस्पतये नमः | (अपनी टोढ़ी को स्पर्श करे)
दक्षिणनासिकायाम - विनायकाय नमः | (नाक के दाए भाग को स्पर्श करे)
वामनासिकायाम - ज्येष्ठराजाय नमः | (नाक के बाए भाग को स्पर्श करे)
दक्षिण नेत्रे - विकटाय नमः | (अपनी दायी आँख को स्पर्श करे)
वामनेत्रे - कपिलाय नमः | (बायीं आँख को स्पर्श करे)
दक्षिणकर्णे - धरणीधराय नमः | (दाए कान को स्पर्श करे)
वामकर्णे - आशापूरकाय नमः | (बाए कान को स्पर्श करे)
नाभौ - महोदराय नमः | (नाभि को सपर्श करे)
हृदये - धूम्रकेतवे नमः | (ह्रदय को स्पर्श करे)
ललाटे - मयुरेशाय नमः | (अपने ललाट को स्पर्श करे)
दक्षिण बाहौ - स्वानन्दवासकरकाय नमः | (अपने दाए बाहु को स्पर्श करे)
वाम बाहौ - सच्चित्सुखधाम्ने नमः | (अपने बाए हाथ को स्पर्श करे)
|| इति श्री मुद्गल पुराणोक्त गणेश न्यास समाप्तः ||
|| जय श्री कृष्ण ||
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